आखिर नेपाल में ही क्यों हो रहे हैं इतने विमान हादसे?

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Nepal Plane Crash: क्या नेपाल बन चुका विमानों का कब्रगाह?

Nepal Plane Crash: नेपाल में आखिर क्यों इतने विमान हादसों का शिकार हो रहे हैं, क्यों नेपाल विमानों का कब्रगाह बनता जा रहा है, क्या नेपाल के आसमान में किसी की काली नज़र लग चुकी है या इन हादसों (Nepal Plane Crash) के पीछे का कुछ और ही कारण है।

नेपाल के विमान हादसों (Nepal Plane Crash) की बात करें तो पिछले 11 सालों में हर साल यहां एक विमान हादसा तो ज़रूर होता है जिसमें कई मासूमों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। पिछले दिनों नेपाल में साल 2023 की शुरुआत में ही एक बड़ा विमान हादसा (Nepal Plane Crash) हुआ।

ये हादसा 15 जनवरी 2023 की सुबह हुआ जब येति एयरलाइंस में सवार 72 लोगों की इस प्लेन क्रैश (Nepal Plane Crash) में जान चली गई। ये प्लेन क्रैश (Nepal Plane Crash) अबतक का सबसे भयानक विमान हादसा माना जा रहा है, मगर इसी बीच सवाल ये उठ रहा है कि आखिर क्यों नेपाल में ही विमान हर साल दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। ये जानने से पहले हम जानेंगे कि अबतक नेपाल में कितने विमान क्रैश (Nepal Plane Crash) हो चुके हैं और कितने लोगों की इसमें जानें जा चुकी हैं।

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आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नेपाल में सबसे पहला विमान हादसा (Nepal Plane Crash) हुआ था 1955 में, तब से लेकर अब तक कुल 914 लोगों की विमान हादसे में जान जा चुकी है। वहीं नेपाल के बड़े विमान हादसों (Nepal Plane Crash) की बात करें तो सबसे पहला बड़ा हासदा यहां 31 जुलाई 1992 को हुआ था जब एक थाई एयरवेज एयरबस A310 नेपाल आते समय दुर्घटना (Nepal Plane Crash) का शिकार हो गया था। इस हादसे में कुल 113 लोगों की जानें चलीं गईं थी।

इसके बाद इसी साल सितंबर में एक और विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, जब पाकिस्तानी विमान काठमांडू आते वक्त हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे (Nepal Plane Crash) में 167 लोगों की जानें चली गईं थी।

इसके बाद अगला बड़ा हादसा (Nepal Plane Crash) हुआ 27 जुलाई साल 2000 को जब पश्चिमी नेपाल में एक ट्विन ओटर एयरप्लेन हादसे का शिकार हो गया, इस हादसे में 25 लोगों की जानें चलीं गईं थी। इसके बाद साल 2002 में 22 अगस्त को विदेशी पर्यटकों से भरा एक विमान दुर्घटनाग्रस्त (Nepal Plane Crash) हो गया था जिसमें कुल 18 लोगों की जानें चलीं गई थी।

इसके बाद 21 जून 2006 को भी एक और विमान हादसे का शिकार हुआ जो लैंडिंग से ठीक पहले दर्गुघटनाग्रस्त (Nepal Plane Crash) हो गया, जिसमें 9 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे (Nepal Plane Crash) के दो साल बाद यानी की 4 मार्च 2008 को नेपाल में एक हेलीकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया जिसमें 10 लोगों की जान चली गईं। इसके बाद इसी साल 8 अक्टूबर को पूर्वोत्तर नेपाल की पहाड़ियों में एक और विमान दुर्घटनाग्रस्त (Nepal Plane Crash) हो गया जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई।

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इसके 2 साल बाद यानी की 24 अगस्त 2010 को एक छोटा विमान हादसे का शिकार हुआ, इस हादसे (Nepal Plane Crash) में 14 लोगों की जानें चली गईं। इसके बाद इसी साल 16 दिसंबर को हमालय की तलहटी में एक विमान क्रैश (Nepal Plane Crash) हुआ जिसमें सवार 22 लोगों की जानें चलीं गईं।

इसके अगले ही साल यानी की 15 सितंबर 2011 को कुछ विदेशी यात्री माउंट एवरेस्ट देखने जा रहे थे और इसी दौरान ये विमान दुर्घटनाग्रस्त (Nepal Plane Crash) हो गया जिसमें 19 विदेशी यात्रियों की जान चली गई। इसके बाद 2012 में एक विमान ने काठमांडू से उड़ान भरी और आगे एक पक्षी से टकराने के बाद ये विमान क्रैश हो गया जिसमें 19 लोगों की जान चली गई।

इस हादसे (Nepal Plane Crash) के दो साल बाद यानी की 16 फरवरी 2014 को एक छोटा विमान हासदे का शिकार हुआ जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद 2016 में 2 विमान हादसे (Nepal Plane Crash) का शिकार हुए जिसमें कुल 25 लोगों की जान गई। इसके 2 साल बाद यानी की 12 मार्च 2018 को नेपाल की राजधानी काठमांडू के हवाई अड्डे में एक विमान हादसे का शिकार हुआ जिसमें 51 लोगों की जान चली गई।

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इसके अगले ही साल यानी की 2019 के फरवरी महीने में पूर्वी नेपाल में एक प्लेन हादसे का शिकार हुआ जिसमें नेपाल के पर्यटन मंत्री भी सवार थे। इस हादसे (Nepal Plane Crash) में पर्यटन मंत्री समेत 7 लोगों की जान गई। इसके बाद पिछले ही साल यानी की मई 2022 में एक विमान पोखरा से टेक ऑफ करते समय हादसे का शिकार हुआ जिसमें 22 लोगों की जान गई और इसके बाद 2023 की शुरुआत में ही एक और बडा हादसा (Nepal Plane Crash) हो गया जिसमें 72 लोगों की जानें चली गई।         

इन सभी आंकड़ों के बाद अब बात करते हैं कि आखिर क्यों नेपाल में ही इतने विमान हादसे (Nepal Plane Crash) होते हैं। दरअसल नेपाल की टोपोग्राफी का इन हादसों के पीछे एक बड़ा हाथ है, ये टोपोग्राफी कई चुनौतियों से भरी है जिसके कारण यहां ज्यादा विमान हादसे (Nepal Plane Crash) होते हैं।

अकेले नेपाल में ही दुनिया के सबसे बड़े पहाड़ों में से 14 पहाड़ मौजूद हैं, जिसके कारण इन ऊंचे पहाड़ों के बीच से विमानों को केवल दुनिया के सबसे स्किलड पायलट्स ही उड़ा सकते हैं।

वहीं खूबसूरत वादियों से भरे नेपाल का मौसम कब बदल जाए इसका कोई भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता। इस तेजी से बदलते मौसम के कराण पायलटों को विमान को नेविगेट करने में दिक्कत आती है जिसका नतीजा निकलता है कई बार विमानों का दुर्घटनाग्रस्त होना। इस बदलते मौसम के कारण कई बार विजिबिलटी बिलकुल कम हो जाती है जिसके कारण ये विमान हादसे (Nepal Plane Crash) का शिकार हो जाते हैं। 

इसके बाद इन हादसों (Nepal Plane Crash) की दूसरी वजह है खराब रडार तकनीक, नेपाल के पास बेहतर रडार तकनीक ना होने के कारण यहां ज्यादा विमान हादसे होते हैं, इनके पास ज्यादातर पुराने विमान हैं जिनमें मॉर्डन वेदर रडार नहीं हैं, इसके कारण पायलट्स को रियल टाइम में वेदर की जानकारी नहीं मिल पाती और ऐसे में कई बार ये विमान हादसों का शिकार हो जाते हैं।

नेपाल के खराब एविएशन रिकॉर्ड के कारण ही यूरोपीय कमीशन द्वारा 28 देशों के ब्लॉक्स में नेपाल के विमानों की उड़ान पर बैन लगाया गया है।

जहां इन हादसों के पीछे नेपाल की चुनौतियों भरी टोपोग्राफी शामिल है, बदलता मौसम शामिल है, वहीं इससे भी नकारा नहीं जा सकता कि कहीं न कहीं नेपाल के पास न ही बेहतर विमान है और न ही इन विमानों को यहां मौजूद ऊंची ऊंची पहाड़ियों के बीच से निकालने के लिए मंझे हुए पायलट्स।

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