Shangri La Ghati: क्या है इस घाटी का रहस्य जिसे आजतक कोई नहीं जान पाया?
Shangri La Ghati: एक ऐसी घाटी जहां न तो सूरज की किरणे पड़ती हैं और न ही चंद्रमा की चांदनी, फिर भी यहां एक अजीब सी रोशनी है। इस घाटी में प्रवेश करते ही आपकी उम्र हमेशा हमेशा के लिए ठहर जाएगी, लेकिन अगर एक बार आप यहां गए तो आप यहां से कभी वापिस नहीं लौट पाएगें। ऐसा क्या है इस रहस्मयी जगह में, आज इसी के बारे में बात करेंगे।
इस घाटी का नाम है शांगरी-ला घाटी (Shangri La Ghati) जो ऐसे कई रहस्यों से भरी हुई है जिसके बारे में आपको भनक तक नहीं होगी। अगर आप इस घाटी में गलती से भी चले गए तो यकीन मानिए आप यहां से कभी वापिस नहीं लौट पाएंगे। इस घाटी में आज तक कोई नहीं जा पाया और जो गया भी वो कभी वापिस नहीं लौट पाया, वहीं एक लामा द्वारा ये दावा किया गया है कि वह शांगरी-ला घाटी में जा चुके हैं।
बताया जाता है कि शांगरी-ला घाटी (Shangri La Ghati) तिब्बत और अरुणाचल प्रदेश की बीच में कहीं स्थित है, इस घाटी के रहस्यों को जानने की बहुत लोगों ने कोशिश की लेकिन वो इस कोशिश में नाकाम रहे। आपको बता दें कि शांगरी-ला-घाटी (Shangri La Ghati) समय से प्रभावित एक जगह है, जिसे वायुमंडल के चौथे आयाम के रूप में देखा जाता है।
ये क्या होता है अब ये आपको बताते हैं। दरअसल इस तरह की जगहों में समय थम जाता है और अगर कोई इंसान चाहे तो वो अनंत काल तक जीवित रह सकता है। देश विदेश से कई लोगों ने शांगरी-ला-घाटी (Shangri La Ghati) का पता लगाने की कई कोशिशें भी की लेकिन ये सभी प्रयास नाकाम साबित हुए। पहले तो कोई इस घाटी को ढूंढ ही नहीं पाया और जिन्होंने इस घाटी को ढूंढ दिखाया वो वापिस कभी इस घाटी से बाहर की दुनिया में नहीं लौट पाए। आपको बता दें कि इस को धरती का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र भी कहा जाता है।
अरुण शर्मा की किताब, “तिब्बत की वह रहस्यमय घाटी” की बात की जाए तो इस किताब में शांगरी-ला-घाटी का जिक्र किया गया है। अरुण शर्मा के मुताबिक उनकी मुलाकात एक लामा से हुई थी जिसका नाम था युत्सुंग। युत्सुंग ने बताया कि वह खुद इस रहस्मयी जगह पर जा चुके हैं। घाटी के बारे में बात करते हुए युत्सुंग बताते हैं कि इस घाटी में काल का प्रभाव तुच्छ है और इस घाटी में प्रवेश करते ही मन और विचारों की शक्ती एक अलग तरीके से कई गुना हो जाती है।
युत्सुंग द्वारा ये भी बताया गया कि यदि इस घाटी (Shangri La Ghati) में कोई भी इंसान या फिर जानवर जाने या अनजाने में प्रवेश कर जाए तो वो वहां से कभी वापिस नहीं लौट सकता। उन्होंने बताया कि इस जगह में कुछ अगल तरीके की, मानों कोई रहस्यमयी रोशनी है, न ही यहां सूरज की किरणें हैं और न ही चंद्रमा की रोशनी, फिर भी पता नहीं कहां से इस जगह पर अजीब सी एक रोशनी दिखाई देती है।
इस घाटी (Shangri La Ghati) को सिद्धाश्रम नाम से भी जाना जाता है, जिसका जिक्र आपको महाभारत से लेकर वाल्मिकी रामायण सहित कई अन्य वेदों में भी मिलेगा। जेम्स हिल्टन द्वारा लिखी गई किताब “लॉस्ट हॉरीजोन” में भी इस घाटी का जिक्र किया गया है, मगर उनके द्वारा इस घाटी को एक काल्पनिक घाटी करार दिया गया है। कहा जाता है कि इस घाटी को ढूढ़ने के लिए जो कोई भी गया वो कभी वहां से वापिस नहीं लौट पाया। यहां तक की चीन ने भी अपनी सेना को इस घाटी को ढूढ़ने के लिए भेजा था लेकिन चीन की सेना के हाथ भी केवल निराशा ही लगी।
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