Phuktal Monastery: 2500 साल पुराना है गुफा में बसा ये मठ
Phuktal Monastery: बर्फीले रेगिस्तान में बसा वो मठ जो दूर से दिखने में बिलकुल मधुमक्खी के छत्ते की तरह दिखाई देता है। ये मठ 2500 साल पुराना है जो समुद्र तल से 4800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस मठ तक पहुंचने में 3 दिन तक का समय लगा करता था, इस मठ (Phuktal Monastery) की मान्यता है कि यहां के पानी से किसी भी व्यक्ति के रोग ठीक हो जाते हैं। इस मठ के ठीक सामने एक गहरी खाई है लेकिन फिर भी ये मठ इस स्थान पर वैसा का वैसा ही है। इतने सालों में यहां कितनी आंधी तूफान आई लेकिन वो इस मठ को तस से मस तक न कर पाई।
ये मठ (Phuktal Monastery) लद्दाख की दक्षिण-पूर्वी जांस्कर में रिमोट लंगनाक घाटी की दुर्गम पहाड़ियों पर स्थित है जिसका नाम है फुगताल गोम्पा। इस मठ (Phuktal Monastery) में 200 बौद्ध भिक्षु रहते हैं जो यहां रहकर बौद्ध शिक्षा ग्रहण करते हैं। ये मठ एक सुनसान गुफा में स्थित है जिसके ठीक सामने गहरी खाई है। इस गुफा से हर वक्त पानी बहता रहता है और जो भी व्यक्ति इस मठ तक जाता है वो इस नदी में बने सस्पेंशन पुल से होते हुए ही जाता है।
इस मठ (Phuktal Monastery) तक कोई गाड़ी नहीं जाती है यहां तक पहुंचने का एकमात्र रस्ता है पैदल का। अब मठ तक जब खाने पीने का सामान भिजवाना होता है तो उसके लिए घोड़ों, गधों या फिर याक का इस्तेमाल किया जाता है। इस मठ की स्थापना 12वीं शताब्दी में गंगासन शेप सैम्पो द्वारा की गई थी। इस मठ (Phuktal Monastery) की मान्यता है कि यहां से निकलने वाला पानी किसी भी व्यक्ति की बीमारियों को ठीक कर सकता है।
गुफाओं में बसा ये मठ (Phuktal Monastery) धीरे धीरे लोगों का आकर्षण का केंद्र बन रहा है लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए आपको बेहद दुर्गम पहाड़ियों से होकर गुजरना पड़ेगा। इस गुफा के अंदर एक रहस्यमयी खोखला है और इस खोखले से हर वक्त पानी आता रहता है। इस पानी का बहाव हर वक्त एक ही समान रहता है, न ज्यादा तेज और और न ज्यादा कम। ऐसी मान्यता है कि इस पानी से हर प्रकार की बीमारियां दूर हो जाती हैं।
ये पूरा मठ (Phuktal Monastery) मिट्टी और लकड़ियों से बना हुआ है और कई सालों से यह मठ वैसा का वैसा ही है। अगर आपको इस मठ में जाना है तो इसका सही समय है जुलाई से लेकर सितंबर तक का और यहां तक पहुंचने के लिए आपको पास के गांव पादुम से पैदल यात्रा तय करनी पड़ेगी।
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