विधानसभा भर्ती घोटाला: विधानसभा कर्मचारियों को हटाने के निर्णय पर नैनीताल हाईकोर्ट ने लगाई रोक

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विधानसभा कर्मचारियों को हटाने के निर्णय पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

उत्तराखंड विधानसभा (vidhan sabha bharti ghotala) में पूर्व में विधानसभा अध्यक्षों द्वारा नियुक्त कर्मचारियों को सेवा से निकाले जाने के सरकार के निर्णय पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। फिलहाल कर्मचारियों की नौकरी बनी रहेगी। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने पूर्व प्रमुख सचिव डीके कोटिया की अध्यक्षता में बनाई समिति की सिफारिशों के आधार पर इन कर्मचारियों की बर्खास्तगी का निर्णय लिया था।

विधानसभा भर्ती घोटाले मामले (vidhan sabha bharti ghotala) में विधानसभा सचिव मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करते हुए उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई थी। विधानसभा में हुईं भर्तियों की जांच के लिए बनी 3 सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट दे थी। इस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर 2016 में हुईं 150 तदर्थ नियुक्तियां, 2020 में हुईं 6 तदर्थ नियुक्तियां, इसके साथ ही 2021 में हुईं 72 तदर्थ नियुक्तियां और उपनल के माध्यम से हुईं 22 नियुक्तियां रद्द की गई।

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vidhan sabha bharti ghotala: 2 विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में हुई थीं भर्तियां

150 भर्तियां रद्द की की जो 2016 में की गई वह कांग्रेस सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे गोविंद सिंह कुंजवाल के कार्यकाल में हुई थी, इसकेसाथ ही 2020 की 6, 2021 की 72 तदर्थ व 22 उपनल की भर्तियां भाजपा सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में हुई थीं।

vidhan sabha bharti ghotala: बर्खास्तगी लोकहित में नहीं

नैनीताल हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने इन कर्मचारियों को सुनवाई का मौका नहीं देने पर नाराजगी जताई थी और विधानसभा से इस बिंदु (vidhan sabha bharti ghotala) पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। इसके बाद आज एकलपीठ ने कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर रोक लगा दी।याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया है कि विस अध्यक्ष ने लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी, मगर बर्खास्तगी के आदेश में उन्हें किस आधार पर किस कारण की वजह से हटाया गया, इसका उल्लेख कहीं नहीं किया गया और न ही उन्हें सुना गया। एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित नही है। यह आदेश विधि विरुद्ध है।

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याचिका में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ रूप से नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई । किन्तु उन्हें 6 वर्ष के बाद भी स्थायी नहीं किया, अब उन्हें हटा दिया गया। पूर्व में भी उनकी नियुक्ति को जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी, जिसमे कोर्ट ने उनके हित में आदेश दिया था जबकि नियमानुसार 6 माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था।

 

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vidhan sabha bharti ghotala: कब क्या हुआ विधानसभा भर्ती में

AUGUST 2022- सोशल मीडिया में विधानसभा (vidhan sabha bharti ghotala) में हुई भर्तियों की सूची वायरल हुई, जिस पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष (वर्तमान कैबिनेट मंत्री) प्रेमचंद अग्रवाल के बयान के बाद विवाद गहरा गया।
28 AUGUST – CM पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष से भर्तियों की जांच का अनुरोध किया। साथ ही यह भी कहा कि सरकार की जहां आवश्यकता हो, सहयोग दिया जाएगा।
29 AUGUST – पूर्व विस अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा, हां मैने अपने बेटे और बहू को नौकरी पर लगाया।
03 SEPTEMBER- विस अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने विधानसभा में हुई भर्तियों की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ जांच समिति का गठन किया।
22 SEPTEMBER – जांच समिति की रिपोर्ट के – आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने 250 भर्तियां रद्द कर दी थी ।

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