DEVBHOOMI NEWS DESK: कोक स्टूडियो भारत के यूट्यूब चैनल पर उत्तराखंड का पहला गीत सोनचड़ी(SONCHADI SONG) रिलीज हुआ है। उत्तराखंड के इतिहास की अमर प्रेम कथा राजुला मालुशाही वर्षों से सुनी सुनाई जाती है। इस प्रेम कथा को सीधे सरल शब्दों में कहता एक गीत जो अब तक उत्तराखंड की वादियों में गाया जाता था, अब वही लोकगीत देश दुनिया के श्रोताओं के कानों में मिश्री घोल रहा है। इसके पीछे कारण है प्रसिद्ध संगीत शृंखला कोक स्टूडियो से प्रसारित हुआ नया गीत सोनचड़ी।
इस गीत को बागेश्वर की रहने वाली कमला देवी ने और उत्तराखंड मूल की गायिका नेहा कक्कड़ ने गाया है। इस नये जमाने के लोक गीत से राजुला मालुशाही को कोक स्टूडियो के मंच पर नये कलेवर में प्रस्तुत किया गया है। लोकगीत रिलीज़ होने के बाद 24 घंटों में इसे यूट्यूब पर करीब चार लाख बार देखा गया। कमला देवी, दिग्विजय और नेहा कक्कड़ की इस प्रस्तुति की ख़ूब तारीफ़ें हो रही है। कोक स्टूडियो भरत की प्रस्तुति इस लोकगीत से कई और भी युवा कलाकार जुड़े हैं। कोक स्टूडियो जैसे बड़े मंच से हुड़का और कांसे की थाली जैसे ठेठ पहाड़ी वाद्य यंत्रों का सुनाई देना उत्तराखंड के पारंपरिक गायन के लिए नई उम्मीद जगाता है।
SONCHADI SONG: कोक स्टूडियो में उत्तराखंड का पहला गीत
यूट्यूब पर रिलीज होने के बाद से ही SONCHADI SONG ने ट्रेंडिंग चार्ट में अपना स्थान बना लिया। गीत को गाया है बागेश्वर की कमला देवी और नेहा कक्कड़ ने। वहीं नैनीताल के दिग्विजय ने इसका संगीत तैयार किया है। इस गीत के बोल मुनस्यारी के लवराज ने लिखे हैं। बता दें कि सोनचड़ी गीत कोक स्टूडियो भारत से रिलीज हुआ उत्तराखंड का पहला गीत है। इस लोक गीत में पहाड़ के पारम्परिक वाद्ययंत्रों के मधुर संगीत को नये किस्म के फ्यूज़न के साथ सुना जा सकता है।
पारंपरिक एपण से सजा वीडियो का सेट
राजुला मालुशाही की प्रेम कथा उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों से जुड़ी है और इसे यहीं गाया जाता है। इस बात का ख्याल रखता हुआ सेट कोक स्टूडियो भारत में बनाया गया है। यूट्यूब पर रिलीज हुए वीडियो में जो सेट दिख रहा है उसमें कुमाऊँ क्षेत्र की प्रसिद्ध पारंपरिक ऐपण, बर्फ से लदे हुए पहाड़, बुरांश के फूल, खेत, हरी भरी घाटियां और नदी दिख रही है। इस सेट पर शमशाद पिथौरागढ़िया द्वारा ऐपण बनाए गए हैं।
लोकसंगीत को सहेजती कमला देवी
SONCHADI SONG कमला देवी की आवाज में कुमाऊँनी छपेली शैली से शुरू होता है। कमला देवी के द्वारा राजुला मालूशाही की प्रेम कथा को गाने के अंदाज को लोगों ने बहुत सराहा है। कमला देवी बागेश्वर जिले के गरूड़ तहसील के लखनी गाँव की रहने वाली हैं। उत्तराखंड के पारंपरिक लोक गीतों के गायन की प्रतिभा उन्हें विरासत के रूप में उनके पिता से मिली है। कमला देवी ने बचपन से ही स्थानीय लोक गीत झोड़ा, चांछड़ी गायन में महारत हासिल कर ली थी। इसके अलावा वों हुड़का बजाने में भी पारंगत है।
पिता का आशीर्वाद है संगीत
कमला देवी ने कोक स्टूडियो भारत में प्रस्तुति के अनुभवों से जुड़ी एक वीडियो में बताया है कि उन्हें बचपन से ही गाने और संगीत का बहुत शौक था और वों अपने पिता जी के संगीत को सुनकर बड़ी हुई हैं। कमला ने बताया है कि उनके पिता भी राजुला मालूशाही की प्रेम कथा पर आधारित गीत गाते थे। इसके अलावा उनके पिता धान की बुवाई के समय गाए जाने वाले गीत हुडक्या बोल भी गाते थे। उनके पिता मंचों पर कई प्रकार के लोकगीत गाते थे, इस दौरान कमला देवी भी पिता के साथ मंच पर जाती थी। यहीं से उनका लोकसंगीत के प्रति रुझान हुआ था।
कमला अपने संगीत को लेकर कहती है कि ये उनके पिता के द्वारा दिया गया आशीर्वाद है। कमला देवी वताती हैं कि उनके पिता ने उनसे कहा था कि जब वे नहीं गा पाएंगे तो कमला को ही इन गीतों को गाना पड़ेगा और संगीत की विरासत आगे आगे बढ़ानी पड़ेगी।
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