आज ही हुई थी कैंचीधाम की स्थापना, ये हैं बाबा नीब करौरी के चमत्कारों की अनसुनी कहानी

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KAINCHI DHAM MELA 2023

Uttarakhand Devbhoomi Desk: भारत साधु-संत- ऋषि, मुनी और सिद्ध पुरूषों का देश कहा जाता है। इन सिद्ध पुरूषों ने भारत के (Neem Karoli Baba News) सनातन धर्म को आगे बढ़ाने के बड़ा काम किया है। यही कारण है कि हिंदू धर्म आज केवल भारत तक ही सिमित नहीं है। ये सिद्ध पुरूष आज के उन धर्म गुरूओं की तरह नहीं है जो धर्म के नाम पर डराने के साथ धर्म को ही धंधा बना दें।

इन सिद्ध पुरूषों में से एक थे बाबा नीम करोली महाराज या बाबा नीब करौरी महाराज। बाबा नीम करोली महाराज 21वीं सदी के वे चमत्कारी पुरूष हैं जिन्हें भगवान हनुमान का रूप माना गया। उनके चमत्कार सुन कर तो हर कोई दंग रह जाता है। यही कारण हैं कि देश ही नहीं कई विदेशी हस्तियां भी उनको अपना गुरू मानते हैं और उनके बताये मार्ग पर चलते हैं।

Neem Karoli Baba News: बाबा नीब करौरी का जीवन परिचय

बाबा नीब करौरी का जन्म 1900 के लगभग उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के (Neem Karoli Baba News) अकबरपुर गांव में हुआ था। बाबा नीब करौरी का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा और माता का नाम कोशल्या देवी शर्मा था। ब्राह्मण परिवार में जन्म लेने के कारण वे बचपन से ही उनका ध्यान पूजा-पाठ पर लगा रहता था। जब वे मात्र 8 वर्ष के थे तो उनकी काम का देहांत हो गया। जिसके बाद गांव और समाज के दबाब में 11 साल की उम्र में उनके पिता ने राम बेटी नाम की लड़की से कर दिया।

गृहस्थ जीवन पसंद नहीं आया और उन्होंने घर छोड़ दिया। 17 साल की उम्र में बाबा को ज्ञान प्राप्त हो गया। लेकिन अपने पिता के अनुराध पर 10 साल बाद वे फिर अपने गांव लौट आए। गांव वापस आने के बाद भी वे समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में लगे रहते थे। फिर बाबा को दो पुत्र और एक पुत्री का प्राप्ति हुई। उनके बड़े बेटे का नाम अनेग सिंह शर्मा, दूसरे बेटे का नाम नाम धर्म नारायण शर्मा और बेटी का नाम गिरजा देवी था। उसके बाद एक बार (Neem Karoli Baba News) फिर उन्होंने अपना घर त्याग दिया और फिर वे देश के कई हिस्सों में गये जहां उन्होंने हनुमान मंदिरों की स्थापना की।

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Neem Karoli Baba News: बाबा के चमत्कार के साथ हुई थी कैंचीधाम की स्थापना

बात लगभग 1942 की है। बाबा नीब करौरी देश का भ्रमण कर उत्तराखंड आए। उत्तराखंड में वे नैनीताल में भवाली से कुछ किलोमीटर आगे पहुंचे। यहां वे एक छोटी सी घाटी के पास रूक गए और सड़क किनारे बने पैराफिट पर बैठ गए। तभी उन्हें सामने पहाड़ी पर एक व्यक्ति दिखाई दिया। फिर उन्होंने उस व्यक्ति को आवाज दी पूरन, ओ पूरन। उस व्यक्ति ने आवाज सुनी और बाबा कि ओर देखा की एक कंबल लपेटे हुए बाबा उसे आवाज दे रहे हैं (Neem Karoli Baba News) जिसे उसने कभी देखा भी नहीं था।

तब बाबा ने फिर आवाज दी पूरन यहां आओ। बाबा के कहने वह वहां आ गया और बड़े आश्चर्य से पूछने लगा कि मैं तो आपको जानता भी नहीं फिर आप को मेरा नाम कैसे पता चला। फिर बाब मुस्कराये और उन्होंने कहा कि मैं तुझे पुछले कई जन्मों से जानता हूं, मेरा नाम बाब नीब करौरी है।

फिर उन्होंने पूरन से कहा कि मुझे भूख लगी है, मेरे लिए भोजन की व्यवस्था कर। पूरन फिर अपने घर गया और अपनी मां को पूरी बात बताई और कहा कि वे सड़क किनारे पैराफीट में बैठे हैं उनको भोजन देना है।

घर में दाल- रोटी बनी हुई तो मां ने वहीं बाबा को परोस दी। भोजन करने के (Neem Karoli Baba News) बाद बाबा नीब करौरी ने पूरन से गांव के कुछ और व्यक्तियों को बुलाकर लाने को कहा। फिर बाबा उन सभी को अपने साथ नदी के पार जंगल में ले गए। एक जगह पर बाबा ने खोदने को कहा और कहा कि यहां पत्थर है उसे हटाओ, यहां गुफा है और गुफा में धूनी भी है। पहले किसी ने विश्वास नहीं किया लेकिन बाबा के कहने पर उन्होंने वहां खोदा और पत्थर हटाया तो सच में वहां गुफा निकली। यही नहीं गुफा के अंदर धुनी भी थी और उसके पास चिमटा भी गड़ा था।

पूरन सहित पूरे गांव के लोग हैरान हो गए कि किसी पता नहीं था कि यहां कोई गुफा भी है। फिर गांव वाले समझ गए कि पत्थरों के नीचे गुफा, उसके अंदर धुनी और चिमटा जैसी जानकारी किसी साधारण व्यक्ति को तो ही नहीं सकती। वे समझ गए की बाबा एक सिद्ध पुरूष हैं। लेकिन तभी (Neem Karoli Baba News) बाबा नीम करोली ने कहा कि ये कोई चमत्कार- वमत्कार नहीं है, यहां पर अब हनुमान बैठेगा।

फिर बाबा ने उन से नदी का पानी मंगवाया और उस स्थान का सुद्धिकरण किया और हनुमान की मूर्ति की स्थापना की। कुछ दिन बाद बाबा ने बताया कि यह सोमवारी बाबा की तपस्थी है और इसका पुनरूद्धार करना है। इसके बाद बाबा यहां आते जाते रहते थे। 1962 में फिर यहां पर बाब नीब करौरी आज ही के दिन 15 जून को कैंचीधाम की स्थापना की। बताया जाता है कि तत्कालीन उत्तर प्रदेश के वन मंत्री चौधरी चरण सिंह ने धाम के लिए बाबा को भूमि उपल्बध कराई थी।

जिस पर बाबा ने खुश होकर उन्हें एक बार भारत का प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद भी दिया था। फिर बाबा पूरी जिंदगी कैंचीधाम में ही रहे। यहां उनके प्रमुख शिष्य पूर्णानंद तिवारी ही सदैव यहां बाबा की सेवा करते थे। लेकिन 9 सितंबर 1973 को कैंची धाम त्याग दिया था। 9 सितंबर को बाबा ने पूर्णानंद को बताया कि वे वृंदावन जा रहे साथ ही उन्होंने पूर्णानंद को अपने साथ चलने से मना कर दिया था।

11 सितंबर 1973 को वृंदावन के एक अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। अस्पताल में जब वे भर्ती थे डॉक्टर बार-बार उनके मुंह पर (Neem Karoli Baba News) ऑक्सीजन मास्क लगा रहे थे और वे हटा रहे थे फिर उन्होंने अपने शिष्यों से कहा कि वे अपना देह त्याग रहे हैं और उनका अंतिम संस्कार कैंची दाम के स्थान पर वृंदावन में किया जाए साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी अर्थी को सबसे पहले उनका शिष्य पूर्णानंद ही कंधा लगाएगा।

इस के बाद बाबा ने प्राण त्याग दिए। बाबा नीम करोली की समाधी वृंदावन में है और यहां आश्रम भी स्थित है। कैंची धाम में भी बाबा कि अस्थियों को लाया गया था, जहां आज भी उनका दर्शन किया जा सकता है।

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Neem Karoli Baba News: बाबा के कुछ अनसुने चमत्कार

एक बार बाबा दिल्ली के बिड़ला मंदिर में बनी एक कुटिया में आराम कर रहे थे। तभी उनके एक भक्त के साथ एक बांग्लादेशी वहां आये। वे बांग्लादेशी बहुत परेशान थे। अब जैसे ही वह बांग्लादेश बाबा के पास पहुंचा और अपनी समस्या बताया उससे पहले ही बाबा ने (Neem Karoli Baba News) उसे कहा कि तुम्हारा भाई दुश्मनों की कैद में है।

लेकिन वह जल्द ही उनकी कैद से बाहर की आ जाएगा। यही ने बाबा ने कि वह एक दिन देश का शहंशाह भी बनेगा। अब परेशान बांग्लादेशी कुछ और बोला पाता या पूछ पाता तब तक बाबा ने उसे कहा कि तुम आजो अब तुम्हें अपने भाई के स्वागत की तैयारी करनी चाहिए। वह परेशान बांग्लादेशी वहां से चला गया।

उस बांग्लादेशी का भाई तब पाकिस्तान की मियांवाली जेल की काल कोठरी में बंद था और पाकिस्तान की सरकार ने उसे मौत की सजा देने का एलान भी कर दिया था। ऐसे हालात में उसे कुछ भी संभव नहीं लग रहा था। लेकिन कुछ समय बाद ही उसका बड़ा भाई बांग्ला देश (Neem Karoli Baba News) की गिद्दी पर बैठा। बाबा के पास आने वाला वो बांग्लादेशी कोई और नहीं बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान के छोटे भाई थे।

एक बार कैंचीधाम में भंडारे का आयोजन हो रहा था। लेकिन भोग बनाते हुए वहां घी खत्म हो गया। उस जगह पर अचानक घी भी उपल्बध नहीं हो सकता था। तभी बाबा नीम करोली ने वहां भोग बनाने वालों से कहा कि जाओ नदी से पानी लेकर आओ। उनके कहने पर शीप्रा नदी से पानी लेकर आए। अब उन्होंने जैसे ही भोग में पानी डालना शुरू किया तो वह पानी घी बन गया।

एक बार बाबा नीब करौरी अपने कानपुर वाले आश्रम के सरसैया घाट पर भक्तों के साथ बैठे थे और उनकी बातें सुन रहे थे। तभी कानपुर के एसपी और डीएसपी वहां पहुंचे और उन्होंने बाबा से कहा कि लाल बहादुर शास्त्री और गुलजारी लाल नंदा आपसे मिलना चाहते हैं, लेकिन बाबा ने मिलने से मना कर दिया। उसके बाद लाल बहादुर शास्त्री और गुलजारी लाल नंदा वहीं आश्रम में पहुंच गये। लेकिन जैसे वे बाबा से मिलने पहुंचते हैं तो वे अपने स्थान से अचानक गायब हो जाते हैं।

जब लाल बहादुर शास्त्री वापस लौटते हैं तो फिर वे अपने भक्तों के बीच में बैठ जाते हैं। तब उनके एक भक्त ने उन पूछा कि आपने उन्हें दर्शन क्यों नहीं दिए। तब बाबा (Neem Karoli Baba News) ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री और गुलजारी लाल नंदा अगर मुझसे सीधे मिलने आते तो मैं उन से अवश्य मिलता लेकिन उन्होंने मुझ से मिलने के लिए पुलिस का सहारा लिया मतलब उन्होंने अपनी पावर का सहारा लिया, इसलिए मैं उन से नहीं मिला।

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