Mundeshwari Temple: मंदिर में मौजूद शिवलिंग दिन में तीन बार बदलता है अपना रंग
Mundeshwari Temple: एक ऐसा मंदिर जहां कई हजारों सालों से बलि प्रथा चली आ रही है, लेकिन यहां चढ़ाई जाने वाली बलि कुछ अलग प्रकार की है, यहां जानवर की बलि भी चढ़ाई जाती है और बलि देने के बाद वो जानवर दौबारा जिंदा भी हो जाता है।
दरअसल जिस मंदिर (Mundeshwari Temple) की हम बात कर रहे हैं वो मंदिर बिहार में स्थित है जिसका नाम है मुंडेश्वरी मंदिर (Mundeshwari Temple). इस मंदिर के चमत्कारों को देखने के लिए लोग दूर दूर से यहां आते हैं। ये अनोखा और रहस्यमयी मंदिर कैमूर जिले की पवरा पहाड़ी पर स्थित है जिसकी ऊंचाई है 608 फीट।
इस मंदिर (Mundeshwari Temple) में आकर लोग मां मुंडेश्वरी से मन्नतें मांगते हैं और मन्नत पूरी होने पर यह लोग माता को बकरे की बलि चढ़ाते हैं। लेकिन इस मंदिर में बकरे की बली देते समय एक बूंद खून तक जमीन पर नहीं गिरता। दरअसल जब कोई भक्त माता को बकरे की बलि चढ़ाने आता है तो वो भक्त बकरे को मंदिर में मौजूद पंडित जी को सौंप देता है।
पंडित जी बकरे को माता की मूर्ति के सामने लाते हैं इसके बाद माता को चढ़ाए गए चावलों को पंडित जी बकरे पर फेंकते हैं जिसके बाद बकरा अचानक बेसुद्ध हो जाता है, ऐसा लगता है मानों वो बकरा मर गया हो। इसके थोड़ी ही देर बाद पंडित जी दौबारा माता को चढ़ाए गए चावलों को उठाते हैं और कुछ मंत्र बोलने के बाद वापिस बकरे पर उन चावलों को फेकते हैं, ऐसा करने पर बकरा खड़ा हो जाता है।
मंदिर (Mundeshwari Temple) कक्ष के बाहर खड़ा जो भी शख्स इस दृश्य को देखता है उसकी आखें खुली की खुली रह जाती है और माता के चमत्कार को देख सबका उनपर विश्वास और अटूट हो जाता है।
इस मंदिर (Mundeshwari Temple) में एक और चमत्कार देखने को मिलता है। मंदिर के गर्भ गृह में एक पंचमुखी शिवलिंग मौजूद है जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। ऐसा बताया जाता है कि मंदिर (Mundeshwari Temple) में मौजूद शिवलिंग सुबह अलग रंग का होता है, दिन में अलग और रात में अलग रंग का दिखाई देता है।
वहीं हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि अगर आप इस शिवलिंग को लगातार देखते रहेंगे और जानने की कोशिश करेगें कि शिवलिंग किस समय पर अपना रंग बदलता है तो आप ये जान भी नहीं पाएंगे कि कब शिवलिंग ने अपना रंग बदल दिया।
इस मंदिर में बकरे की बलि चढ़ने के बाद कैसे हो जाता है बकरा जिंदा?
इस मंदिर (Mundeshwari Temple) के निर्माण को लेकर एक कथा भी काफी प्रचलित है। ऐसी मान्यता है कि माता ने इसी जगह पर असुर चण्ड- मुण्ड का वध किया था। जब माता ने चण्ड का वध कर दिया था तो उसके बाद मुण्ड इसी पहाड़ी पर आकर छिप गया लेकिन माता ने मुण्ड को ढ़ूढकर उसका इसी पहाड़ी पर वध कर दिया। इसके बाद यहां पर माता का मंदिर (Mundeshwari Temple) स्थापित किया गया और इस मंदिर का नाम पड़ा मुंडेश्वरी मंदिर (Mundeshwari Temple). आपको बता दें कि मुंडेश्वरी मंदिर भारत का सबसे पुराना मंदिर भी है।
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