Uttarakhand Devbhoomi Desk: शक्ति और पोषण से भरपूर फल किवी, पिछले कुछ दशकों से विश्व भर में अत्यन्त लोकप्रिय हो गया है। देश में इसकी बढ़ती मांग के चलते ये आर्थिक दृष्टि से लाभदायक फल के रूप में भी उभर कर सामने आया है। ऐसे में देखा जा रहा है कि अब उत्तराखंड राज्य की आर्थिकी के लिए भी ये फल (kiwi farming in uttarakhand) वरदान साबित हो सकता है।
जी हां आपको बता दें कि प्रदेश की राजधानी देहरादून के अस्थल गांव (समीप DPS और मालदेवता के बीच ) के तरब लिंग बौद्ध संस्थान में किवी उत्पादन से जुड़े किसानों ने एक सम्मेलन आयोजित किया। जिसमें देश भर के लगभग 300 किवी उत्पादकों ने प्रतिभाग किया।
kiwi farming in uttarakhand: 200 से ज्यादा किवी उत्पादकों ने लिया भाग
आयोजन की जानकारी मीडिया को देते हुए कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि फ़ेस्ट में हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सोलन हिमांचल यूनिवर्सिटी के किवी विशेषज्ञ डॉ० चंदेल , नीति आयोग की उपाध्यक्ष डॉ० नीलम पटेल, कनेडीयन कम्पनी क्रैबो के डॉ० राजेंद्र सिंह, दुर्गा सीड एवं नर्सरी के मोहिन्दर सिंह , क़ाशा विन्यर्ड प्रतिनिधि डॉo नवीन नैनवाल और ग्यारह से ज्यादा कम्पनी के प्रतिनिधि (kiwi farming in uttarakhand) और देश के विभिन्न राज्यों से 200 से ज्यादा किवी उत्पादकों ने भाग लिया।
उन्होंने बताया कि आयोजन स्थल (kiwi farming in uttarakhand) में किवी से तैयार उत्पादों के दस से ज्यादा स्टाल भी लगाए गये। आयोजकों के अनुसार इस वक्त उत्तराखंड के पहाड़ों में करीब 70-80 टन्न किवी का उत्पादन हो रहा है। वर्ष 2025 तक इसे करीब एक हजार मेट्रिक टन सालाना उत्पादन तक पहुंचने की संभावना है, जिसके लिए सरकारी प्रोत्साहन और ठोस नीतियों की दरकार है।
साथ ही किवी उत्पादक के सामने आ रही चुनातियों और उन के समाधान हेतु विभिन्न विकल्पों की तलाश पर भी चर्चा की दरकार है।
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