Hanging Pillar Mystery: झूलते हुए खंबे पर टिका हुआ है पूरे मंदिर का भार
Hanging Pillar Mystery: भारत देश अपनी सभ्यता, संस्कृति और मंदिरों के लिए जाना जाता है, इन मंदिरों से जुड़े कई रहस्य हैं जिनकी गुत्थी आजतक विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया है। इसी कड़ी में एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करेंगे जो एक ऐसे खंबे पर टिका हुआ है जो हवा में लटका (Hanging Pillar Mystery) हुआ है।
इस खंबे पर अंग्रेजों द्वारा कई हथौड़े मारे गए लेकिन इस खंबे (Hanging Pillar Mystery) पर एक दरार तक नहीं आई जबकी इस खंबे के आसपास के कई खंबों पर दरारें आ गईं। ऐसा क्या है इस खंबे में जो हवा में लटकते हुए भी ये खंबा पूरे मंदिर का भार अपने ऊपर लिए है।
जिस मंदिर की हम बात कर रहे हैं उसका नाम है लेपाक्षी मंदिर जो आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है। वैसे तो ये मंदिर 70 खंबों पर टिका हुआ है लेकिन लोगों का कहना है कि इस मंदिर का पूरा भार सिर्फ एक ही खंबे पर टिका हुआ है और ये खंबा भी कोई जमीन से लगा हुआ नहीं है बल्की हवा पर झूलता (Hanging Pillar Mystery) हुआ है। लेकिन ऐसा कैसे मुमकिन हुआ होगा।
इस रहस्य (Hanging Pillar Mystery) पर से पर्दा उठाने के लिए 1902 में एक ब्रिटिश इंजीनियर द्वारा एक परीक्षण किया गया। इनका नाम था हैमिल्टन, जिन्होंने ये जानने की कोशिश की कि इस मंदिर का भार किस खंबे पर है, जिसके बाद इन्होंने झूलते हुए खंबे पर हथौड़े से कई वार करवाए। हथौड़ों के इन वारों से इस झूलते हुए खंबे पर एक दरार तक न आई, लेकिन इस खंबे से करीबन 25 फीट की दूरी पर स्थित कई खंबों पर दरारें आ गईं।
इस परीक्षण से ये साफ हो गया कि इस मंदिर का पूरा भार केवल इसी हवा में झूलते हुए खंबे (Hanging Pillar Mystery) पर है। यानी कि जो लोग कहते थे कि अगर एक खंबा हवा में झूल रहा है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि इस मंदिर में मौजूद 69 खंबे अपने ऊपर मंदिर का भार लिए है। लेकिन इस परिक्षण के बाद इंजीनियर्स भी मंदिर के झूलते हुए खंबे की थ्योरी के आगे हार गए।
मंदिर के निर्माण की बात की जाए तो इस धाम में एक स्वयंभू शिवलंग है जिसे शिव जी के रौद्ररूप यानी की वीरभद्र का रूप माना जाता है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में ये शिवलिंग खुले आसमान के नीचे था लेकिन 1538 में दो भाइयों द्वारा इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। इन भाइयों का नाम था विरुपन्ना और वीरन्ना जो विजयनगर के राजा के महल में काम किया करते थे। वहीं कुछ पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक लेपाक्षी मंदिर में मौजूद वीरभद्र मंदिर को ऋषि अगस्त्य द्वारा बनवाया गया था।
इस मंदिर को लेकर एक और कहानी काफी प्रचलित है। कहा जाता है कि एक समय पर विष्णु भक्त और शिव भक्त के बीच काफी बहस हुई, ये बहस कई सदियों तक चली। इस बहस को रोकने के लिए अगस्त्य मुनि ने यहां कड़ी तपस्या की और अपने तप के तेज से उन्होंने इस बहस को खत्म कर दिया।
कहा जाता है कि पहले बाकी 69 खंबों की तरह ही ये खंबा भी जमीन से लगा हुआ था लेकिन फिर अचानक ये खंबा जमीन की सतह से ऊपर दिखने लगा और इसके बाद से इस खंबे को मंदिर का झूलता हुआ खंबा (Hanging Pillar Mystery) बोला जाने लगा।
लोग इस झूलते हुए खंबे (Hanging Pillar Mystery) के नीचे से अपना अपना कपड़ा निकालते हैं और ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उनके जीवन से दुख-तकलीफ चली जाती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
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