/ Oct 01, 2024
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पूर्व ईरानी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद (Ahmadinejad) ने एक चौंकाने वाले खुलासे में दावा किया है कि इजराइली (Israeli) जासूसी का मुकाबला करने वाली ईरानी खुफिया इकाई का प्रमुख खुद एक इजराइली जासूस था।
अहमदीनेजाद (Ahmadinejad) ने कहा कि 2021 तक यह साफ हो गया था कि देश में इजराइली (Israeli) खुफिया ऑपरेशनों से निपटने वाले सबसे वरिष्ठ व्यक्ति मोसाद (इजराइल की खुफिया एजेंसी) का एजेंट था। उन्होंने सीएनएन तुर्क को बताया, “इजराइल ने ईरान के अंदर जटिल ऑपरेशनों को अंजाम दिया। वे आसानी से जानकारी हासिल कर सकते थे। ईरान में अब भी इस पर चुप्पी है। जिस व्यक्ति को इजराइल (Israel) के खिलाफ काम करने की जिम्मेदारी दी गई थी, वह खुद एक इजराइली एजेंट था।”
अहमदीनेजाद (Ahmadinejad) ने दावा किया कि यह एक अलग घटना नहीं थी, बल्कि उस टीम के 20 अन्य एजेंट भी मोसाद के लिए काम कर रहे थे, जो इजराइली (Israeli) खुफिया गतिविधियों पर नजर रखने का काम कर रही थी। उनके अनुसार, इन एजेंटों ने इजराइल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी संवेदनशील जानकारी दी और 2018 में ईरान के परमाणु दस्तावेजों की चोरी में भी शामिल थे। साथ ही, उन्होंने ईरान के कई परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या भी की।
अहमदीनेजाद (Ahmadinejad) का यह बयान उस समय आया है जब क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ है। मंगलवार को इजराइली (Israeli) सेना ने दक्षिणी लेबनान में ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के खिलाफ “सीमित और लक्षित” जमीनी अभियान शुरू किया, जबकि उन्होंने सीमा के नजदीकी इलाकों पर गोलाबारी और राजधानी बेरूत पर हवाई हमले जारी रखे।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने बाद में पुष्टि की कि ये दस्तावेज तेहरान में एक गुप्त मोसाद ऑपरेशन के दौरान जब्त किए गए थे। रिपोर्टों के अनुसार, दो दर्जन से अधिक मोसाद एजेंटों ने तेहरान के एक गोदाम में घुसकर तिजोरियां खोलीं और 100,000 से अधिक गोपनीय फाइलें निकाल लीं। छह घंटे चले इस ऑपरेशन से इजराइल (Israel) को ईरान के परमाणु हथियार विकास से जुड़ी विस्तृत जानकारी मिली।
इन फाइलों का वैश्विक स्तर पर ईरान के परमाणु इरादों पर गहरा प्रभाव पड़ा, क्योंकि इसमें देश की गुप्त गतिविधियों के ठोस सबूत थे। चुराए गए दस्तावेजों ने अमेरिका की ईरान के प्रति नीति को भी प्रभावित किया। नेतन्याहू से एक गुप्त ब्रीफिंग के बाद, तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 के ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका को बाहर निकालने का निर्णय लिया। दस्तावेजों ने इस बात का समर्थन किया कि ईरान ने इस समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया था, जिसका उद्देश्य उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकना और प्रतिबंधों में छूट देना था।
आप को बता दे कि लेबनानी स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 23 सितंबर से इजराइल (Israel) हिजबुल्लाह के ठिकानों पर व्यापक हवाई हमले कर रहा है, जिसमें अब तक 960 से अधिक लोगों की मौत और 2,770 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।
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