Uttarakhand Devbhoomi Desk: बदरीनाथ धाम में अलकनंदा नदी पर बन रहे बेली ब्रिज टूटने (bridge collapse) से दो श्रमिक नदी के तेज बहाव में बह गए। जिनमें से एक को तो बचा लिया गया जबकि दूसरे की खोजबीन की जा रही है। यह पुल बदरीनाथ महायोजना में काम आने वाले सामान को लाने और ले जाने के लिए बनाया जा रहा था।
शासन ने पुल के टूटने (bridge collapse) के मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। सचिव लोनिवि डा पंकज कुमार पांडेय ने मुख्य अभियंता को मौका मुआयना कर इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंपने के निर्देश दिए हैं। सरकार द्वारा सर्वे कराया जाएगा की क्या खामी रही, जिसके कारण यह ब्रिज टूटा।
Bridge Collapse: लापरवाही या किस्मत का खेल
पुल का निर्माण कर रहे श्रमिकों के पास न तो लाइफ जैकेट थी और न हेलमेट ही। पुल टूटने (bridge collapse) या और किसी कारण से श्रमिक नदी में न गिरने पाएं, इसका भी इंतजाम नहीं था। सुरक्षा हार्नेस बांधी होती तो ऊंचाई से गिरने से बच जाते श्रमिक। लोनिवि के अधीक्षण अभियंता राजेश चंद्र शर्मा का कहना है कि वह खुद घटनास्थल पर जा रहे हैं। जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
ग्राम रौंदी, थाना सुभाषनगर, बरेली (उत्तर प्रदेश) के रहने वाले दो श्रमिक 28 वर्षीय सोनू और 30 वर्षीय रघुवीर सिंह आज दोपहर पुल के निर्माण में जुटे थे। तभी पुल टूटकर नदी में जा गिरा और दोनों श्रमिक बह गए। कुछ दूर जाकर रघुवीर नदी के किनारे एक पत्थर में अटक गया, जिससे उसकी जान बच गई। सोनू अभी भी लापता है।
यह पुल (bridge collapse) भगवान बदरी विशाल के मंदिर से करीब 500 मीटर दूर ब्रह्मकपाल क्षेत्र में अलकनंदा नदी पर 30 करोड़ रुपये की लागत से 60 मीटर स्पान के दो गार्डर मोटर पुल बनाए जा रहे हैं। घटना में एक व्यक्ति के अलकनंदा नदी में बहने पर SDRF उत्तराखंड द्वारा घटनास्थल पर सभी सम्भावित स्थानों पर गहन सर्चिंग की जा रही है।
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