एक सप्ताह से रोड बंद, जीर्ण-शीर्ण पगडंडी से 30 किमी पैदल चल महिला को ऐसे पहुंचाया अस्पताल

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देहरादून/हल्द्वानी, ब्यूरो। मानसून की बारिश उत्तराखंड सरकार की तमाम व्यवस्थाओं और सुविधाओं की पोल खोल रही है। जगह-जगह नदी-नाले उफान पर हैं और भूस्खलन से पैदल ही नहीं बड़े बड़े एनएच और छोटे मोटर मार्ग सभी जगह-जगह बाधित हो रहे हैं। वैसे तो सुदूर इलाकों में रहने वाले उत्तराखंड के सैकड़ों गांव अभी भी आदिवासियों की तरह जीवन बिताने को मजबूर हैं, लेकिन बारिश और बर्फबारी के दौरान अगर किसी भी बुजुर्ग या बीमार व्यक्ति की हालत नाजुक हो जाए तो उसे जैसे-तैसे दुरूह पहाड़ी पगडंड़ियों से सड़क मार्ग तक पहुंचाने के बाद भी कोई वाहन न मिले तो इसके लिए आप किसे जिम्मेदार ठहराएंगे। करीब 30 किलोमीटर की पगडंडी और फिर रोड नापने के बाद पैदल ही इन युवकों ने बीमार महिला को अस्पताल तक पहुंचाया।

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एक सप्ताह से रोड बंद, जीर्ण-शीर्ण पगडंडी से 30 किमी पैदल चल महिला को ऐसे पहुंचाया अस्पताल

एक सप्ताह से इस इलाके की रोड बंद, जीर्ण-शीर्ण पगडंडी से 30 किमी पैदल चल महिला को ऐसे पहुंचाया अस्पताल

कुछ ऐसा ही हाल है उत्तराखंड के अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से लगे पिथौरागढ़ जिले के मुंदरी ग्रामसभा के गोल्फा गांव का। आजादी के 72 साल और उत्तराखंड बने 22 साल पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन ये ग्रामीण अभी भी विकास की एक किरण देखने को तरस रहे हैं। हाल यह है कि गांव के कुछ युवक एक बीमार महिला करीब 30 किलोमीटर तक बारिश से जगह-जगह क्षतिग्रस्त पगडंडियां नापकर अस्पताल ले गए। इसके बाद पीड़ित महिला का मधुकोर्ट अस्पताल में उपचार किया गया है। बता दें कि यहां की पगडंडियां तो हमेशा ही जीर्ण-शीर्ण हालत में रहती हैं, लेकिन बारिश के बाद इनके जख्म और हरे हो जाते हैं। यहां थोड़ा सी असावधानी भी आपके जीवन पर भारी पड़ सकती है। खाली हाथ जाना तो कठिन नहीं है लेकिन अगर आपके कंधों पर बीमार महिला का बोझ है, तो इस दौरान थोड़ी सी असावधानी आपके साथ ही बीमार और अन्य साथ चल रहे लोगों पर भी भारी पड़ सकती है। कहीं न कहीं केंद्र और राज्यनीत भाजपा की सरकारें बातें बड़ी-बड़ी करेंगी, लेकिन विकास के नाम पर मूलभूत सुविधाओं का ही राज्य में अभाव है।

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पिथौरागढ़ के इस इलाके को देश-दुनिया से जोड़ने वाला एकमात्र लिंक रोड करीब एक सप्ताह से बंद पड़ा है। यही नहीं यहां जाने के लिए पैदल रास्ता भी एक ही है। कहीं न कहीं जिला प्रशासन और प्रदेश सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। वैसे तो हर ऐसे गांव में कम से कम प्राथमिक और मामूली उपचार की कोई व्यवस्था जरूर हो। अगर यह सुविधा भी न मिले तो कम से कम जहां तक रोड पहुंची है वह सुचारू भी रहे और उस पर वाहन आते-जाते रहें तो लोग कम से कम किसी सरकारी या निजी अस्पताल तक तो पहुंच सकते हैं।