भगवान श्री कृष्ण ने हमेंशा के लिए क्यों किया था बांसुरी का त्याग ?

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इस पृथ्वी पर जब भी प्रेम की बात होती है तो श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम की हर कोई मिसाल देता है….इन दोंनों के प्रेम को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन माना जाता है…

श्रीकृष्ण के बचपन का प्यार थी राधा..माना जाता है कि श्रीकृष्ण जब आठ साल के थे तब दोनों ने प्रेम की अनूभूति की..

लेकिन क्या आप जानते हैं जिस कृष्ण को देखे बिना राधा सांस तक नहीं ले पाती थी उसका कन्हैया के वृंदावन के जाने के बाद क्या हाल हुआ होगा,,,गर्ग सहिता में राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी का जिक्र मिलता है..

जिसमें राधा कृष्ण के प्रेम के बारे में विस्तार से बताया गया है साथ ही ये बताया गया है कि कैसे राधा रानी ने अपने शरीर को त्यागा था…जब भगवान कृष्ण वृंदावन छोड़कर मथूरा जा रहे थे तो पूरा वृंदावन ही शोक में डूब गया था..इसके साथ राधा और गोपियों का भी रो रो कर बुरा हाल था..नदी के किनारे राधा कृष्ण के जाने के बाद विलाप कर रही थी तभी स्वयं वहां कृष्ण पहुंचे और उन्होंने रोती हुई राधा को चुप कराया..उनहोंने राधा से कहा कि राधा में जा  जरुर रहा हूं लेकिन तुम्हारे मन में हमेंशा वास करुंगा….. जब भी तुम मुझे खोजोगी तो में तुम्हारे हृदय में ही तुम्हें मिलूगां..इसिलिए रोती क्यो हो?

इसके बाद कृष्ण ने राधा से दो वरदान मांगने को कहा जिसपर राधा ने एक वरदान ये मागा कि में चाहती हूं कि सिर्फ आप ही मेंरे हृदय में हमेंशा वास करें..औऱ दूसरा जभी भी मेंरी मृत्यू हो तो आप मेरे पास ही रहें…

इसके बाद श्रीकृष्ण राधा  की ये दोनों बातें मान गए..और इसके बाद श्रीकृष्ण ने भी राधा से एक वचन मांगा और कहा हे राधे मुझे वचन दो मेंरे जाने के बाद तुम एक भी आंसू नहीं गिराओगी और अपने सभी कर्तव्यों का पालन करोगी..

और ये कृष्ण की राधा से आखिरी मुलाकात थी.. और इसके बाद श्रीकृष्ण कंश औऱ दूसरे राक्षसों का वध करने के लिए निकल पड़े…और दूसरी तरफ राधा का भी विवाह करवा दिया गया..वहीं कुछ कथाओं के अनूसार राधा ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में अपना घर छोड़ दिया था.. और वो कृष्ण से मिलने के लिए द्वारिका जा पहुंची… और जब कृष्ण ने राधा को देखा तो वो बहुत खुश  हुए.. और राधा ने कृष्ण से अनूरोध किया की वे उन्हें अपने महल में एक देविका के रुप में नियुक्त कर लें…फिर राधा दिनभर महल के कार्यों में लगी रहती …और वो दिन  में कई बार श्रीकृष्ण के दर्शन कर लेती थी… लेकिन महल में कृष्ण के इतने करीब रहने पर भी उनको श्रीकृष्ण से आधाय्तमिक जुड़ाव महसूस नहीं हुआ.. फिर राधा बिना कुछ बोले महल से चली गई…..राधा के जीवन के अंतिम क्षणों में श्री कृष्ण राधा के पास चले गए थे अपने वचन के अनूसार वो तब तक बांसूरी बजाते रहे जब तक राधा ने देह नहीं त्यागा..और माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने इस समय जैसी बासुरी बजाई थी वैसे कभी नहीं बजाई थी…. इसके बाद श्रीकृष्ण ने कभी बांसुरी नहीं बजाई..और इस तरह इन दोनों की प्रेम कथा हमेंशा के लिए अमर हो गई…