यहां शादी में बेटी पर थूककर पिता देता है आशीर्वाद

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एक ऐसी जनजाति जहां लड़कियों की विदाई के समय दुल्हन के पिता अपनी बेटी के सिर और ब्रेस्ट पर थूकते हैं. जहां थूकने को लोग शुभ मानते हैं. जब कोई विदेशी भी वहां जाता है तो वो इसी तरीके से ही उनका स्वागत करते हैं. और हथेलियों पर थूकते हैं.

यूं तो आपने अक्सर देखा होगा कि जो आदिवासी जनजाती होती है वो अपनी अनोखी परंपराओ और रिति रिवाजों को लेकर हमेंशा से चर्चाओँ में रहते हैं. तो आज हम आपको ऐसी ही एक जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि अपनी अनोखी परंपरा के लिए विख्यात है. यहां शादी के समय एक ऐसी परंपरा निभाई जाती है जिसे सुनकर शायद आप भी चौंक जाएंगे. यूं तो आपने देखा होगा भारत में शादियों के समय अलग अलग रस्में निभाई जाती है. दरअसल रस्में यहां भी निभाई जाती है लेकिन वो काफी अनोखी है.

आपको बता दें कि ये परंपरा तनजानिया और केन्या के लोग निभाते हैं जिनका नाम है मासाई. यहां दुल्हन को खास तरीके की विदाई दी जाती है. यहां पर जब लड़कियों की शादी होती है  तो विदाई के समय दुल्हन के पिता अपनी बेटी के सिर और ब्रेस्ट पर थूकते हैं. वे शादी के दिन अपनी बेटी के साथ इस रस्म को निभाते हैं. माना जाता है  कि मासाई के रीति रिवाजों में अपने प्रियजनों को विदाई देने या फिर प्यार जताने का यही एक तरीका होता है. और अमूमन हम देखते हैं कि जब किसी पर थूका जाता है तो वो बुरा मानता है लेकिन यहां पर लोग बुरा नही मानते बल्कि खुश होते हैं.

इसके अलावा शादी के बाद दुल्हन का सिर मुंडा जाता है… और उस वक्त कई बुजुर्ग लोग भी वहां मौजूद होते हैं..औऱ इसके बाद दुल्हन अपने पिता के सामने घुटने टेकती हैं और सभी बुजुर्गों से आशीर्वाद लेती हैं… और आशीर्वाद देते हुए घर के बुजुर्ग दुल्हन के सिर और ब्रेस्ट पर थूकते हैं… थूकने की परंपरा दुल्हन के लिए शुभ माना जाता है… इसके अलावा ये रिवाज पैदा हुए बच्चे के साथ भी किया जाता है…

मासाई लोगों के लिए ये एक सम्मान की बात होती है… इसके अलावा जब कोई विदेशी भी वहां जाता है तो वो इसी तरीके से ही उनका स्वागत करते हैं… और हथेलियों पर थूकते हैं..

अब बात करते हैं  मासाई जनजाति के खानपान रहन सहन के बारे में ..

यहां के लोग स्वहली और अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं… और ये लोग अपने मवेशियों को चराने का काम करते हैं…मसाई का समाज पितृसत्तात्मक है औऱ पुरुष ही बड़े मामलों के अंदर अपना निर्णय देते हैं…..औऱ यहां के लोगों को मौत के बाद उन्हें दफनाया नहीं जाता है….बल्कि जमीन पर छोड़ दिया जाता है इसके पीछे मान्यता रहती है कि जमीन में गाड़ने से  जमीन खराब होती है…इसके अलावा मसाई  लोग एक जगह पर घर बनाकर रहने वाले नहीं होते हैं ये लोग घूमक्कड़ होते हैं और जगह जगह घूमते रहते हैं… इसके पीछे वजह ये भी है कि ऐसा करने से इनके जानवरों को नई घास भी मिलती रहेगी…

साथ ही इन लोगों की संपत्ति इनके पास कितने जानवर होते हैं और कितने बच्चे  हैं इस हिसाब से तय होती है…  वही ये लोग खाने में मीट और दूध का प्रयोग करतै हैं… साथ ही यहां के लोग जानवरों का खून भी पी लेते हैं… यहां के पुरुषों को मर्द साबित करने के लिए भाले से शिकार करना होता है… पुरुष यदि इस काम को करने में असफल होता तो उसको कई अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है ….  

इन लोगो  का घर अस्थाई होता है …. वो घास फूस और गोबर से बना होता है… महिलाएं घर को बनाती हैं… साथ ही ये लोग अलग अलग दल बनाकर रहते हैं.. और एक परिवार में 20 से 40 लोग रहते हैं…. जब पशुओं के लिए आसपास की घास खत्म हो जाती है तो मसाई जनजाति के लोग अपने पशुओं को लेकर कईं और चले जाते हैं… और वहां अपनी झोपड़ी फिर बनाते हैं.. यहां के लोग लाल रंग के कपड़े ज्यादा पंसद करते हैं और इसके अलावा महिलाएं लकड़ी के कंगन पहनती है जो इनके आभूषणों के अंदर गिना जाता है… .