Uttarakhand News Today: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का आज गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया है। लेकिन उत्तराखंड राज्य आंदोलन के समय उनकी भूमिका एक खल नायक से कम नहीं रही है। भले की मुलायम सिंह यूपी ही नहीं पूरे देश के प्रतिष्ठित नेता रहे हों लेकिन उत्तराखंड में पहाड़ के लोग उन्हें आज भी पहाड़ विरोधी ही मानते हैं। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के समय हुई तमाम घटनाओं का जिम्मेदार आज भी उत्तराखंडवासी उन्हें ही मानते है।
रामपुर तिराहा कांड कैसे कोई भूल सकता है
Uttarakhand News Today मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड जिसे 28 साल हो गये हैं, जिसमें 7 लोग शहीद हुए और 17 लोग घायल हुए। जिस रामपुर तिराहा का नाम सुनते ही माता- बहनों की रूह कांप जाती है और कई लोग सहम जाते हैं। उस बर्बर घटना पर आज तक किसी दोषी पर कोई कार्रवाई नहीं होती है।
केवल फाइलें तैयारी हुई और फिर वो धीरे- धीरे गायब हो गई। जिन्होंने शांत पहाड़ियों पर जुल्म ढाया, माता- बहनों की आबरू को तार- तार किया, किसी का सीना गोलियों से छलनी कर दिया, वे आरोपी आज भी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। तब यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह थे और इस कांड के दोषियों को बचाने का आरोप भी मुलायम पर लगता आया है।
Uttarakhand News Today: मसूरी और खटीमा कांड ने तो बना दिया था पहाड़ विरोधी
Uttarakhand News Today उत्तराखंड राज्य आंदोलन के समय हुए 1994 में पहले अगस्त में मसूरी गोली कांड और उसके बाद सितंबर में हुए खटीमा हत्याकांड के बाद उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने यह मान लिया था कि मुलायम सिंह यादव पहाड़ विरोधी हैं। मुलायम सिंह यादव की यह छवी आज तक भी उत्तराखंड वासियों के दिमाग में वही है जो राज्य आंदोलन के समय बनी थी। साथ ही इन हत्या कांड के दोषियों पर कार्रवाई न होने की नाराजगी आज भी साफ देखने को मिलती है।
Uttarakhand News Today: मुलायम की साइकिल नहीं चढ़ने दी पहाड़
Uttarakhand News Today उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद मुलायम सिंह यादव ने बहुत कोशिश रही कि वह उत्तराखंड में अपना दबदबा बनाये। उन्होंने यहां सत्ता में आने के लिए अपने पार्टी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों को विधानसभा में उठाया लेकिन वे कभी कामयाब नहीं हुए। उन्होंने अपने दो बेटों की शादियां भी उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले परिवारों से की लेकिन तब भी उनके हाथ सफलता नहीं लगी।
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