/ Nov 26, 2024

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AMU अल्पसंख्यक दर्जे का हकदार, सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय

इस फैसले के पीछे एक लंबा कानूनी संघर्ष रहा है। 2005 में AMU ने अपने आपको अल्पसंख्यक संस्थान मानते हुए स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों में 50% सीटें मुस्लिम छात्रों के लिए आरक्षित कर दी थीं। इस कदम के विरोध में कुछ हिंदू छात्रों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने AMU को अल्पसंख्यक संस्थान मानने से इनकार करते हुए कहा कि यह संस्थान एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और इसे अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं दिया जा सकता। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

SUPREME COURT ON AMU
SUPREME COURT ON AMU

SUPREME COURT ON AMU: फरवरी में रखा था फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर व्यापक बहस हुई थी, जो नौ जनवरी 2024 से लेकर एक फरवरी तक चली। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सात सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायालय के इस फैसले का इंतजार करते हुए, यह उम्मीद जताई जा रही थी कि प्रधान न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने से पहले इस मामले का निर्णय आएगा, क्योंकि 10 नवंबर को वह सेवानिवृत्त हो रहे हैं। शनिवार और रविवार को अवकाश होने के कारण फैसले के शुक्रवार को आने की संभावना थी, और यही कारण है कि प्रशासन और सुरक्षा बलों ने इस दिन विशेष सतर्कता बरती।

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