/ Oct 27, 2025
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RANJI TROPHY 2025: भारतीय घरेलू क्रिकेट इतिहास में रविवार, 26 अक्टूबर 2025 का दिन हमेशा याद रखा जाएगा, जब रणजी ट्रॉफी के 91 साल के इतिहास का सबसे छोटा मैच खेला गया। असम और सर्विसेज के बीच तिनसुकिया स्पोर्ट्स एसोसिएशन ग्राउंड पर खेला गया यह मुकाबला सिर्फ 540 गेंदों यानी 90 ओवर तक चला और कुल चार सेशन में ही समाप्त हो गया। सर्विसेज ने यह मैच आठ विकेट से जीतकर नया रिकॉर्ड अपने नाम किया। इससे पहले सबसे कम गेंदों में खत्म होने वाले रणजी मैच का रिकॉर्ड 1962 में रेलवे और दिल्ली के बीच हुए मुकाबले के नाम था, जो 547 गेंदों तक चला था।

असम के तिनसुकिया मैदान पर यह मुकाबला 25 साल बाद आयोजित हुआ और पहले ही दिन बल्लेबाजों का बुरा हाल हो गया। पहले दिन ही 25 विकेट गिर गए। असम की टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया, लेकिन उनकी पूरी टीम मात्र 17.2 ओवर में 103 रन पर सिमट गई। सर्विसेज की टीम ने जवाब में 29.2 ओवर में 108 रन बनाए और पहली पारी में पांच रनों की मामूली बढ़त हासिल कर ली। असम की दूसरी पारी में भी बल्लेबाज फ्लॉप रहे और पूरी टीम 29.3 ओवर में 75 रन पर ढेर हो गई। सर्विसेज को जीत के लिए सिर्फ 71 रनों का लक्ष्य मिला, जिसे उन्होंने 13.3 ओवर में दो विकेट खोकर हासिल कर लिया।

इस मैच का सबसे रोमांचक पल तब आया जब सर्विसेज के दो गेंदबाजों ने एक ही पारी में हैट्रिक लेकर इतिहास रच दिया। बाएं हाथ के स्पिनर अर्जुन शर्मा और तेज गेंदबाज मोहित जंगरा ने अपनी शानदार गेंदबाजी से असम की बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी। अर्जुन शर्मा ने 6.2 ओवर में 5 विकेट लिए, जबकि मोहित जंगरा ने 4 ओवर में 3 विकेट झटके। यह रणजी ट्रॉफी इतिहास में पहली बार हुआ जब एक ही पारी में दो खिलाड़ियों ने हैट्रिक ली हो। असम के कप्तान रियान पराग ने भी गेंदबाजी में उम्दा प्रदर्शन किया। रियान ने कुल 5 विकेट झटके, हालांकि उनकी टीम को हार का सामना करना पड़ा।

RANJI TROPHY 2025 के इस मुकाबले में कुल 32 विकेट गिरे और दोनों टीमों ने मिलकर सिर्फ 359 रन बनाए। समय और गेंदों के लिहाज से यह रणजी ट्रॉफी का सबसे छोटा मैच साबित हुआ। दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले 4 नवंबर 1934 को मद्रास और मैसूर के बीच खेला गया मुकाबला सिर्फ 100.5 ओवर में पहले ही दिन समाप्त हो गया था। असम और सर्विसेज के बीच यह मैच घरेलू क्रिकेट के इतिहास में एक अद्भुत उदाहरण बन गया, जिसने दिखाया कि भारतीय पिचों पर गेंदबाजों का जादू अब भी जीवित है।

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