Parshuram Mahadev: पानी नहीं बल्की दूध डालने से भर जाता है ये छेद
Parshuram Mahadev: एक ऐसा मंदिर जहां शिवलिंग पर मौजूद है एक छेद, इस छेद में इंसान कितना भी जलाभीषेक कर लें ये कभी भरता नहीं है, लेकिन अगर आप इस छेद में दूध डालेंगे तो ये तुरंत भर जाता है। ये मंदिर है परशुराम महादेव मंदिर (Parshuram Mahadev) जो राजस्थान की अरावली पर्वतमाला के बीच में स्थित है।
इस मंदिर (Parshuram Mahadev) का निर्माण खुद परशुराम द्वारा अपने फरसे से किया गया था, इसी स्थान पर परशुराम ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व के वरदान के साथ साथ फरसा और दिव्यास्त्र दिए थे।
भगवान शिव द्वारा फरसा मिलने के बाद ही परशुराम ने एक बड़ी चट्टान को काटकर ही इस मंदिर (Parshuram Mahadev) का निर्माण किया था। इस गुफा मंदिर के ऊपरी भाग में गाय के थन के समान आकृति बनी हुई है। वहीं इस मंदिर (Parshuram Mahadev) में भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं जिसके ठीक ऊपर गोमुख बना हुआ है जिससे शिवलिंग पर कुदरती जल टपकता रहता है।
वहीं परशुराम महादेव मंदिर (Parshuram Mahadev) से कुछ ही दूरी पर स्थित है एक नदी जिसे मातृकुंडिया नाम से जाना जाता है। जब परशुराम ने अपनी माता की हत्या की थी तो ऋषि- मुनियों के कहने पर उन्होंने इस दोष से मुक्ति पाने के लिए अरावली पर्वतमालाओं में स्थित मातृकुंडिया नदी में स्नान किया और उसके बाद गुफा के रस्ते इस जगह तक आए जहां उन्होंने भगवान शिव की अराधना की।
ये गुफा अब बंद हो चुकी है और भक्तों के लिए इसे केवल 6 से 7 मीटर तक ही खोला गया है। इस मंदिर (Parshuram Mahadev) तक पहुंचने के लिए आपको 500 सीढ़ियां चढ़कर आना होगा। वहीं मंदिर (Parshuram Mahadev) के ठीक नीचे 3 कुंड हैं जिनमें पूरे साल भर पानी रहता है। इस मंदिर (Parshuram Mahadev) तक आने के दो रस्ते हैं, एक मारवाड़ से जो 1600 मीटर का रस्ता है और दूसरा मेवाड़ से जो 1200 मीटर लंबा रस्ता है।
इस मंदिर (Parshuram Mahadev) की ऊंचाई की बात की जाए तो ये समुद्र तल से 4000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अगर आप इस मंदिर (Parshuram Mahadev) में जाते हैं तो ये आपके लिए ट्रैकिंग का एक अनुभव भी हो सकता है क्योंकि इस गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको दो से ढाई किलोमीटर तक की ट्रैकिंग करके जाना होगा।
इस गुफा मंदिर (Parshuram Mahadev) की एक दीवार पर राक्षस की आकृति भी दिखाई देती है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान परशुराम द्वारा इस राक्षस को यहीं पर मौत के घाट उतारा गया था। इस मंदिर को राजस्थान का अमरनाथ भी कहा जाता है जहां गणेश भगवान जी का मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर में 9 कुंड मौजूद हैं जिनका पानी आजतक नहीं सूखा है।
इस मंदिर (Parshuram Mahadev) को लेकर एक मान्यता ये भी है कि भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट केवल वो ही व्यक्ति खोल सकता है जिसने कभी परशुराम मंदिर (Parshuram Mahadev) के दर्शन किए हों। इसी स्थान पर भगवान परशुराम द्वारा कर्ण को शस्त्रों की शिक्षा भी दी गई थी।
वैसे तो पूरे साल भर इस मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है लेकिन महाशिवरात्रि और परशुराम जयंती के अवसर पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। वहीं सावन के महीने में यहां दो महीनों के लिए मेले का आयोजन भी किया जाता है और इस दौरान यहां हर दिन करीबन 30 हज़ार से भी ज्यादा भक्त आते हैं।
ये भी पढ़ें: |
---|
ये संकेत बताते हैं कि हनुमान जी आपसे हैं रुष्ट |
For latest news of Uttarakhand subscribe devbhominews.com