रहस्यों से भरी झील जहां दबा है अरबों- खरबों का खजाना

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Kamrunag Lake: आज तक कोई चोर भी नहीं कर पाया यहां चोरी

Kamrunag Lake: अक्सर आपने उन जगहों के बारे में सुना होगा जहां दुनिया का बेशकीमती खजाना छिपा होता है, लेकिन आज आपको एक ऐसी झील के बारे में बताएंगे जहां लोग खुद जाकर झील में सोने, चांदी और हीरे के जवारात फेंकते हैं और ऐसा करते करते इस झील (Kamrunag Lake) में बेशकीमती खजाना इक्कठा होता चला गया।

इस झील में कई बार चोरों द्वारा चोरी करने की कोशिश भी की गई लेकिन कोई भी चोर आजतक इस झील (Kamrunag Lake) में मौजूद बेशकीमती खजाने को नहीं चुरा पाया। ये रहस्यमयी झील हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों के बीच स्थित है जो हिमाचल के मंडी जिले से करीबन 51 किलोमीटर दूर करसोग घाटी में मौजूद है।

इस रहस्यमयी झील का नाम है कमरुनाग झील (Kamrunag Lake) जो अपने अंदर बेशकीमती खजाने के साथ साथ कई राज़ समेटे हुए है। इस झील (Kamrunag Lake) के अंदर इतनी मात्रा में सोने, चांदी और हीरे के जेवरात और बर्तन मौजूद हैं कि इसका कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता।

वहीं हैरान कर देने वाली बात तो ये है कि इस झील (Kamrunag Lake) में मौजूद खजाने के बारे में न ही आजतक कोई पता लगा पाया और न ही कोई चोर इस खजाने को चुराने में सफल रह पाया।

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पौराणिक कथाओं की माने तो इस झील (Kamrunag Lake) का निर्माण पांडवों में से भीम द्वारा करवाया गया था, उन्होंने इस झील को यक्षों के राजा के सम्मान में बनवाया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस झील (Kamrunag Lake) की रक्षा खुद यक्ष करते हैं और ये यक्ष पृथ्वी की अलग अलग जगहों पर मौजूद छिपे हुए खजानों की रक्षा करते हैं।

स्थानीय लोगों की माने तो वह इस झील (Kamrunag Lake) को यक्ष का निवास स्थान मानते हैं जो खजाने की कई हज़ारों सालों से रक्षा कर रहे हैं। इसके साथ ही लोगों का मानना है कि यहां मौजूद कमरुनाग देवता वर्षा की अध्यक्षता करने वाले देवता हैं, जिनका मंदिर झील (Kamrunag Lake) के पास ही स्थित है।

इसके साथ ही हैरानी की बात तो ये है कि सोने- चांदी से भरी इस झील (Kamrunag Lake) की सुरक्षा करने के लिए यहां कोई सुरक्षा कर्मी तक तैनात नहीं है बावजूद इसके आजतक यहां कभी कोई चोरी न हो सकी, यानी की इस झील (Kamrunag Lake) की रक्षा स्वंय कमरुनाग देवता ही करते हैं। झील के पास स्थित कमरुनाग देवता के मंदिर में लोग दूर दूर से पूजा करने आते हैं और मनोकामना मांगते हैं, मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त अपनी श्रद्धा अनुसार कमरुनाग झील में सोने, चांदी या फिर हीरे के जवाहरात डालते हैं।

वहीं मंदिर में जून के महीने में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है और ऐसी मान्यता है कि जून की 14 और 15 तारीख को बाबा कमरुनाग अपने सच्चे भक्तों को दर्शन देते हैं। इस झील तक पहुंचने के लिए आपको घने जंगलों से होकर गुज़रना पड़ेगा, प्रकृति प्रेमियों के लिए ये ट्रेक किसी जन्नत से कम नहीं है। ये ट्रेक 6 किलोमीटर लंबा है जिसे पूरा करने में करीबन 4 घंटों का वक्त लगता है।    

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