/ Nov 26, 2024

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बॉडी में दिख रहे ये लक्षण हो सकते हैं पार्किन्सन के कारण, जानें किसे और क्यों होता है यह रोग

PARKINSON’S DISEASE एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जो मुख्य रूप से मस्तिष्क के बेसल गैंग्लिया (Basal Ganglia) नामक हिस्से को प्रभावित करता है। बेसल गैंग्लिया वह मस्तिष्क का हिस्सा है जो शरीर की गति को नियंत्रित करता है। पार्किन्सन रोग का कारण मुख्यतः मस्तिष्क के एक विशेष प्रकार के न्यूरॉन्स (तंत्रिका कोशिकाओं) की मृत्यु या क्षति होती है, जो डोपामाइन नामक एक महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर (संचार करने वाले रसायन) का उत्पादन करते हैं।

PARKINSON'S DISEASE
PARKINSON’S DISEASE

PARKINSON’S DISEASE वृद्धावस्था में सक्रिय होता है

डोपामाइन शरीर की गति और संतुलन को नियंत्रित करने में मदद करता है, और जब इसकी कमी हो जाती है, तो शारीरिक गतिविधियों में कठिनाई उत्पन्न होती है। इस विकार को आमतौर पर वृद्धावस्था में देखा जाता है, लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है, हालांकि यह 60 वर्ष और उससे ऊपर के व्यक्तियों में अधिक सामान्य है।
PARKINSON'S DISEASE
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ये लक्षण हो सकते हैं खतरनाक

पार्किन्सन रोग के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ बढ़ते जाते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:

  1. झटके (ट्रेमर): यह सबसे सामान्य और पहचानने योग्य लक्षण होता है। पार्किन्सन रोग में हाथ, पैर, ठोड़ी या चेहरे में अनैच्छिक झटके होते हैं, खासकर जब शरीर विश्राम की स्थिति में होता है। यह झटका मांसपेशियों की अस्थिरता को दर्शाता है, जो मस्तिष्क के उत्तेजना के कारण उत्पन्न होता है।(PARKINSON’S DISEASE)
  2. मांसपेशियों की अकड़न (रिगिडिटी): मांसपेशियों में कठोरता या अकड़न महसूस होती है, जिससे व्यक्ति को गति करने में कठिनाई होती है। यह अकड़न जोड़ों में दर्द और असुविधा का कारण बन सकती है। इसके कारण सामान्य दैनिक गतिविधियों जैसे चलना, उठना और बैठना भी मुश्किल हो सकते हैं।
  3. गति में मंदता (ब्रैडीकाइनेसिया): पार्किन्सन रोग के कारण गति धीमी हो जाती है। रोगी को शारीरिक क्रियाएं जैसे चलना, हाथ हिलाना या बात करना धीरे-धीरे करने में परेशानी होती है। व्यक्ति को सामान्य गति से चलने में समय लगता है, और इस मंदता के कारण दैनिक जीवन की गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं।
  4. संतुलन की समस्या (पोस्टुरल इम्बैलेंस): मस्तिष्क में डोपामाइन की कमी के कारण शरीर का संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में गिरने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि रोगी का शरीर सही दिशा में नहीं जा पाता।(PARKINSON’S DISEASE)
  5. बोलने में कठिनाई (डिस्थिया): पार्किन्सन रोग से प्रभावित व्यक्तियों को बोलते समय आवाज़ धीमी या मद्धम हो जाती है, और कभी-कभी यह आवाज़ थकी हुई या मुरझाई हुई लगने लगती है। इसका असर उनकी संवाद क्षमता पर भी पड़ता है।
  6. चेहरे की अभिव्यक्ति में कमी (फेशियल हाइपोकिनेसिया): पार्किन्सन रोग के कारण व्यक्ति का चेहरा कम अभिव्यक्तिपूर्ण (expressionless) हो सकता है। इसे “मास्क फेस” भी कहा जाता है, जिसमें चेहरे की मांसपेशियों का लचीलापन कम हो जाता है, और व्यक्ति का चेहरा बिना किसी हाव-भाव के नजर आता है।
  7. कृतित्व (कैटाटोनिया): कुछ मामलों में रोगी अपनी जगह से हिल-डुल नहीं पाता, और बहुत अधिक शिथिलता महसूस करता है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है और व्यक्ति को पूर्ण रूप से निष्क्रिय बना सकती है।(PARKINSON’S DISEASE)

PARKINSON’S DISEASE के कारणों का पता नहीं

पार्किन्सन रोग का सही कारण अभी तक पूरी तरह से ज्ञात नहीं हो पाया है, लेकिन यह माना जाता है कि इसके विकास में आनुवंशिक और पर्यावरणीय तत्व दोनों का योगदान होता है। कई मामलों में, पारिवारिक इतिहास (genetic factors) महत्वपूर्ण हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति के परिवार में पार्किन्सन रोग के मामले रहे हों, तो उस व्यक्ति को इस रोग के विकसित होने का अधिक खतरा हो सकता है। इसके अलावा, कुछ विषाक्त तत्वों या कीटनाशकों (pesticides) के संपर्क में आने से भी रोग का खतरा बढ़ सकता है।

PARKINSON'S DISEASE
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इलाज और दवाइयाँ

पार्किन्सन रोग का निदान मुख्यतः शारीरिक परीक्षण और रोगी के लक्षणों के आधार पर किया जाता है। कभी-कभी, मस्तिष्क के एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन (CT scan) की जांच की जाती है ताकि अन्य विकारों को जांचा जा सके जो समान लक्षण उत्पन्न कर सकते हैं। पार्किन्सन रोग के लक्षणों का उपचार दवाइयों, शारीरिक चिकित्सा, और कभी-कभी शल्यक्रिया (सर्जरी) द्वारा किया जा सकता है। उपचार के मुख्य उद्देश्य लक्षणों को नियंत्रित करना और रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाना होता है।

  1. दवाइयाँ: पार्किन्सन रोग के इलाज में दवाइयाँ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सबसे सामान्य दवाइयाँ लिवोडोपा (Levodopa) और डोपामाइन एगोनिस्ट्स (Dopamine Agonists) होती हैं, जो मस्तिष्क में डोपामाइन के स्तर को बढ़ाती हैं। लिवोडोपा को डोपामाइन के रूप में परिवर्तित किया जाता है, जिससे गति और संतुलन में सुधार होता है। इसके अलावा, कुछ अन्य दवाइयाँ मांसपेशियों की अकड़न और अन्य लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।
  2. शारीरिक और व्यावसायिक चिकित्सा: शारीरिक चिकित्सा और व्यावसायिक चिकित्सा से रोगी को शारीरिक संतुलन, गति, और समन्वय में सुधार करने में मदद मिलती है। विशेष व्यायाम, स्ट्रेचिंग और मांसपेशियों की ताकत बढ़ाने वाले कार्यक्रम रोगी को अपनी दैनिक गतिविधियों को बेहतर तरीके से करने में सक्षम बनाते हैं।
  3. शल्यक्रिया: कुछ गंभीर मामलों में, जब दवाइयाँ प्रभावी नहीं होतीं, तो शल्यक्रिया का विकल्प अपनाया जाता है। सबसे आम शल्यक्रिया “डीप ब्रेन स्टिमुलेशन” (Deep Brain Stimulation – DBS) होती है, जिसमें मस्तिष्क में एक इलेक्ट्रोड डाला जाता है, जो मस्तिष्क की अनियमित गतिविधियों को नियंत्रित करता है।

मानसिक और सामाजिक प्रभाव

पार्किन्सन रोग न केवल शारीरिक रूप से व्यक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। रोगी को अवसाद (depression), चिंता (anxiety), और सोचने में कठिनाई (cognitive decline) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। व्यक्ति की सामाजिक और पारिवारिक जीवनशैली में भी बदलाव आ सकता है क्योंकि रोग के कारण स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता पर असर पड़ता है।(PARKINSON’S DISEASE)

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