/ Nov 26, 2024
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BIPOLAR DISORDER एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जिसमें व्यक्ति के मूड, ऊर्जा और गतिविधि स्तर में अत्यधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। इसे मूड डिसऑर्डर भी कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति मुख्य रूप से दो अवस्थाओं के बीच बदलता रहता है। इनमें से पहली अवस्था को मैनीक एपिसोड में व्यक्ति अत्यधिक खुश, उत्साहित और उत्तेजित महसूस करता है। दूसरी अवस्था डिप्रेसिव एपिसोड कहलाती है, जिसमें व्यक्ति अत्यधिक उदास, हताश और ऊर्जा रहित महसूस करता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर के तीन मुख्य प्रकार होते हैं। बाइपोलर I में व्यक्ति को कम से कम एक बार मैनीक एपिसोड का अनुभव होता है और कुछ मामलों में डिप्रेसिव एपिसोड भी होते हैं। बाइपोलर II में व्यक्ति को हाइपोमेनिया, जो कि मैनिक एपिसोड का एक हल्का रूप होता है, और साथ ही प्रमुख डिप्रेसिव एपिसोड का सामना करना पड़ता है। तीसरे प्रकार को साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति को हल्की मैनिक और हल्की डिप्रेसिव अवस्थाएं होती हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण इन दो अवस्थाओं के दौरान अलग-अलग होते हैं।
इस विकार के कारण कई जोखिम कारकों से जुड़े होते हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज संभव है, और इसके प्रबंधन के लिए कई विधियों का सहारा लिया जा सकता है। इस विकार के इलाज में दवाइयों का उपयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मूड स्टेबलाइजर्स, एंटीडिप्रेसेंट्स और एंटीसाइकोटिक दवाइयों का इस्तेमाल लक्षणों को नियंत्रित करने में सहायक हो सकता है। इसके अलावा, मनोचिकित्सा भी इस विकार के उपचार में सहायक होती है।
संज्ञानात्मक व्यवहार चिकित्सा (CBT) जैसी साइकोथेरेपी व्यक्ति को उसके विचारों और भावनाओं को समझने और उन्हें संभालने में मदद करती है। जीवनशैली में कुछ सकारात्मक बदलाव लाकर भी इस विकार का प्रबंधन किया जा सकता है, जैसे कि नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और पर्याप्त नींद लेना। परिवार और दोस्तों का साथ तथा सपोर्ट ग्रुप्स में शामिल होना व्यक्ति को इस विकार का सामना करने में मददगार साबित हो सकता है।
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