/ Nov 26, 2024
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DIGITAL ARREST: देश में तेजी से बढ़ते साइबर अपराधों ने एक नए प्रकार की ठगी को जन्म दिया है, जिसे “डिजिटल अरेस्ट” स्कैम के रूप में जाना जाता है। इस स्कैम में साइबर ठग, पुलिस या सरकारी अधिकारियों के रूप में खुद को प्रस्तुत कर, व्हाट्सएप या स्काइप जैसी प्लेटफॉर्म्स के जरिए वीडियो कॉल करते हैं। कॉल पर वे एक फर्जी पुलिस अधिकारी या अन्य सरकारी एजेंसी के अधिकारी की तरह पेश आते हैं, जिससे लोग उन्हें असली समझ बैठते हैं।
कॉल में पुलिस स्टेशन जैसा माहौल और वर्दी पहने हुए अधिकारी को देखकर पीड़ित डर जाता है और ठग आसानी से उसे मानसिक दबाव में ले आते हैं। वे पीड़ित को झूठे आरोपों में फंसाने या उसके परिवार को खतरे में डालने का डर दिखाते हैं। डिजिटल अरेस्ट एक साइबर अपराध है जिसमें ठग फोन या वीडियो कॉल के माध्यम से फर्जी पुलिस अधिकारी, सीबीआई, आरबीआई या अन्य सरकारी एजेंसियों के नाम पर लोगों को डराते हैं।
वे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स या अन्य गंभीर अपराधों के आरोप लगाते हैं, और उनसे मोटी रकम की मांग करते हैं ताकि केस को बंद किया जा सके। अधिकतर पीड़ितों को यह डर लगता है कि कहीं सच में कोई कानूनी कार्यवाही उनके खिलाफ न हो जाए, इसलिए वे इन ठगों की बातों में आकर पैसे दे देते हैं। यह स्कैम खासतौर पर ऐसे लोगों को निशाना बनाता है जो ऑनलाइन कॉल्स और टेक्नोलॉजी में निपुण नहीं हैं और जिन्हें असली और नकली के बीच फर्क करना कठिन लगता है।
देश में बढ़ते इस साइबर अपराध पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने देशवासियों से अपील की है कि ऐसे किसी भी कॉल या मैसेज पर तुरंत प्रतिक्रिया देने से बचें और सतर्क रहें। साथ ही, मुंबई पुलिस ने भी इस स्कैम के बारे में एडवाइजरी जारी की है। पुलिस के अनुसार:
भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (सीईआरटी-एन) ने इस DIGITAL ARREST स्कैम से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सलाह दी हैं:
सरकार ने फर्जी कॉल्स और मैसेज की शिकायत दर्ज करने के लिए “चक्षु” नामक एक पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल के जरिए लोग ऑनलाइन फ्रॉड कॉल्स और मैसेज की शिकायत कर सकते हैं। चक्षु पोर्टल पर शिकायत दर्ज करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:
गृह मंत्रालय की साइबर विंग के मुताबिक, डिजिटल अरेस्ट स्कैम के जरिए ठग हर दिन करोड़ों रुपये की ठगी कर रहे हैं। इस साल अक्टूबर तक डिजिटल अरेस्ट के 92,334 मामले सामने आए हैं, जिनमें 2140 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी हुई है। बहुत से लोग ठगों के डर से शिकायत तक नहीं करते, जिससे असली आंकड़े शायद इससे भी ज्यादा हो सकते हैं।
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