मुगल हरम की महिलाएं क्यों थी मर्दों के लिए पागल?

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मुगल हरम की महिलाएं क्या हरम के अंदर कैद रहतीं थी?

देहरादून ब्यूरो। मुगलों के हरम के रिवाज के मुताबिक केवल बादशाह या फिर चिकित्सक ही हरम के अंदर प्रवेश कर सकते थे यानी की इनके अलावा कोई भी अन्य मर्द हरम के अंदर प्रवेश नही कर सकता था। इसका मतलब है कि हरम में बादशाह वहां रह रही किसी भी महिला के साथ संबंध बना सकता था चाहे वो जायज़ हो या फिर नजायज़, मगर उन महिलाओं को किसी अन्य मर्द को देखने तक की इजाज़त नही थी।

खैर, मुगल हरम की महिलाएं अपने अंदर कई रहस्य समेटे हुए हैं जिन्हें कुछ ही लोग जान पाए और अपनी लेखनी के ज़रिए वो लोगों तक इन रहस्यों को लेकर आ पाए। आज इन्हीं रहस्यों के बारे में बात करेंगें कि कैसे मुगल हरम की महिलाएं अपना जीवन व्यतीत करती थी, कैसे हरम में रह रही कई महिलाओं को यौन सुख की प्राप्ती नही होती थी और वे महिलाएं यौन सुख की प्राप्ती के लिए क्या किया करती थी।   

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दरअसल हरम एक ऐसी जगह थी जहां एक बार महिलाएं प्रवेश कर ले तो वहां से बाहर निकना नमुमकिन था। यानी की अगर आज की भाषा में कहा जाए तो ये एक ऐसी जगह थी जहां महिलाओं को किडनैप करके रखा जाता था बस फर्क इतना था कि यहां इन्हें सभी प्रकार की सुख सुविधाएं मिलती थी, केवल एक सुख के। खैर जब किसी पंछी को पिंजरे में कैद करके रखोगे तो वो फड़फड़ाने की कोशिश तो ज़रूर करेगा साथ ही पिंजरे से बाहर निकलने की भी कोशिश करेगा।

मुगल हरम की महिलाएं उस पंछी की तरह थीं जो हरम के उस पिंजरे से बाहर नही निकल पाती थीं और न ही औरतों और बच्चों के आलावा किसी को हरम में देख पाती और बादशाह के भी दीदार उन्हें कभी कबार ही हो पाते। जिसके बाद इन महिलाओं के अंदर किसी अन्य मर्द को देखने की चाहत और बढ़ती जाती। कहते हैं न कि अगर आप किसी पर कुछ ज्यादा ही पाबंदिया लगा देते हैं तो वो कोई न कोई रस्ता निकाल ही लेता है अपनी चाहतों को पूरा करने का।

अब मुगल हरम की महिलाएं भी कुछ कम न थीं इन महिलाओं ने भी कुछ ऐसे ही तरीके निकाले किसी अन्य मर्द को देखने और उन्हें स्पर्श करने के।

मुगल हरम की महिलाएं क्यों करतीं थी बीमार होने का नाटक?

मुगल हरम की महिलाएं

दरअसल हरम में बादशाह के आलावा केवल चिकित्सकों को ही प्रवेश करने की अनुमति थी और वो भी हरम के अंदर कुछ कड़े नियमों के साथ प्रवेश किया करते थे। हरम में प्रवेश करने से पहले वहां तैनात कुछ हिजड़े इन चिकित्सकों को उनके सिर से लेकर कमर तक एक कपड़े से ढक दिया करते थे जिसके बाद ये हिजड़े ही इन चिकित्सकों को बीमार महिला के कमरे तक लेजाया करते और जब तक चिकित्सक महिला का इलाज न कर दे तब तक वो हिजड़े वहीं उस चिकित्सक के पास बैठा करते।

मुगल हरम की महिलाएं क्या बनाती थीं चिकित्सकों के साथ संबंध?

कई लेखकों द्वारा उनकी किताब के ज़रिए ये बताया गया है कि जब एक चिकित्सक हरम में महिला का इलाज करने पहुंचते थे तो वहां एक पर्दा हुआ करता था। चिकित्सक महिला को चेक करने के लिए पर्दे के अंदर हाथ डालते और दूसरी ओर से बीमारी का नाटक कर रही महिला इन चिकित्सकों के हाथों को पकड़कर  चूमतीं और अपने अपने शरीर के गुप्त अंगों से स्पर्श कराती।

अब किसी की चाहत को अगर दबाओगे तो वो चाहत मौका मिलने पर उतने ही ज़ोर के साथ बाहर आएगी। ऐसा कहा जाता था कि क्योंकि इन महिलाओं को किसी मर्द को देखने तक की अनुमति नही थी, इसी कारण वो जानबूझ कर बीमार होने का नाटक रचतीं और चिकित्सकों को स्पर्श करने का मौका ढूढ़ती।

मुगल हरम की घिनौनी सच्चाई

अब हरम के भीतर का नज़ारा असल में होता कैसा था। हरम एक ऐसी अलग दुनिया थी जहां मुग़लों की पत्नियां और उनकी रिश्तेदार रहा करती थीं इसके साथ ही यहां अलग अलग देशों से अलग अलग धर्म और संस्कृतियों की महिलाओं को लाकर रखा जाता था। ये महिलाएं हरम में जन्म, निकाह, नियुक्तियों और उपहार के रूप में दाखिल होती थीं और एक बार ये महिलाएं हरम के अंदर दाखिल हो गईं तो उसके बाद उनका अपनी मर्जी से वहां से बाहर निकलना असंभव था।

मुगल हरम की महिलाएं कैसे करतीं थी हरम में अपना जीवन यापन?

हरम के अंदर केवल महिलाएं ही नही रहा करती थी यहां बच्चे पैदा हुआ करते थे, यहीं उन्हें पाला पोसा जाता था। हरम के अंदर हर सुख सुविधा मौजूद थी। यहां सामान खरीदने के लिए बाज़ार थे, कपड़े सिलाने के लिए दर्जी थे, बच्चों की पढ़ाई के लिए स्कूल थे, खेलने के लिए मैदान थे। यानी की हरम के अंदर हर सुख सुविधा थी बस यहां की महिलाओं को यहां से बाहर निकलने की अनुमति नही थी।

इसके साथ ही हरम के अंदर एक शाही खज़ाने का कक्ष भी हुआ करता था जहां जरूरी दस्तावेज़ों को रखा जाता था। कई बार बादशाह यहां अपना शाही काम भी किया करते थे ताकी उन्हें ये काम करते हुए कोई भी बाधा न हो। हरम आकार में इनता बड़ा हुआ करता था कि यहां की कई दासियों की उम्र निकल जाती मगर वो बादशाह का दीदार एक बार भी न कर पातीं।        

वहीं हरम में मौजूद शाही परिवार की औरतों के लिए हर सुबह नए कपड़े आते। वो उन कपड़ों को एक दफा पहनती और फिर वो शाही कपड़े दासियों को दे दिए जाते। हरम के अंदर महिलाएं ऐशो-आराम भरा जीवन व्यतीत करतीं मगर इन सभी सुख सुविधाओं के परे उन्हें यहां केवल एक चीज़ की कमी थी बाहरी दुनिया में खुलकर सांस लेने की कमी। यहां तक की बादशाह की मृत्यु के बाद भी उन्हें हरम छोड़ने की इजाज़त नहीं थी। जब बादशाह की मौत हो जाती तो उनकी बीवियों को हरम के एकांत हिस्से जिसे सुहागपुर कहा जाता था वहां  ले जाया जाता था।

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वहीं ये भी कहा जाता है कि जब एक मुगल बादशाह अपनी किसी पत्नी के साथ समय बिताना चाहते तो उनकी पत्नी के कक्ष को अच्छे से सजाया जाता और साथ ही सुगंधित इत्रों से कक्ष के अंदर छिड़काव भी किया जाता। इसके बाद जब बादशाह कक्ष में प्रवेश करते तो वहां तैनात दासियां बादशाह के कपड़े उतारकर उनके शरीर में चंदन और शीशम का लेप लगाकर उनकी मालिस करतीं।

वहीं दूसरी ओर कुछ दासियां रेशम के पंखों से बादशाह के लिए हवा करतीं तो कुछ गुलाब जल का छिड़काव करतीं। साथ ही साथ कुछ दासियां बादशाह को शाराब का सेवन भी करातीं। इसी दौरान अगर बादशाह को उन दासियों में से कोई दासी पसंद आ जाए तो वो अपनी पत्नि को छोड़ उस दासी के साथ ही पूरी रात बिताते।     

इससे ये समझा जा सकता है कि यदि बादशाह को हरम में मौजूद कोई महिला पसंद आ जाए तो उस महिला को यौन सुख की प्राप्ती होती थी और जो महिला बादशाह को नही भाती उसे जिंदगी भर उस हरम के कड़े नियमों के अनुसार ही चलना पड़ता और उसे अपनी पूरी जिंदगी बिना किसी मर्द के ही गुज़ारनी पड़ती।