किशोर को निगलने वाले मगरमच्छ की बजाय ग्रामीणों ने दूसरे बेकसूर को बंधक बनाकर मार डाला!

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खटीमा में एक्स-रे करवाने के बाद भी पंतनगर ले जाने पर अड़े ग्रामीण, रास्ते में मगरमच्छ ने तोड़ा दम

  • एक्स-रे के बाद भी जाल में फंसाए गए मगरमच्छ के पेट से नहीं निकला निगले गए किशोर का शव या कोई अंश

देहरादून/खटीमा, ब्यूरो। एक दिन पहले उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर जिले के खटीमा इलाके में देवहा नदी किनारे दोस्तों के साथ भैंसे चरा रहे एक 11 वर्षीय किशोर को मगरमच्छ ने निगल लिया था। इसके बाद मौके पर पहुंचे ग्रामीणों ने जमकर हंगामा काटा और मगरमच्छ को बाहर निकाल कर उसका एक्सरे कर पेट से बच्चे को बाहर निकालने की जिद्द पर अड़ गए। बच्चे को निगलने की सूचना के बाद मौके पर पहुंचे वन विभाग की टीम और स्थानीय लोगों ने जाल में फंसाकर किसी तरह तीन मगरमच्छ बाहर निकाले। इनमें से दो छोटे मगरमच्छों को वापस छोड़ दिया गया जबकि एक बड़े मगरमच्छ पर पहले ग्रामीणों ने अपना गुस्सा उतारा फिर उसका एक्सरे करवाने पर अड़ गए। एक्स-रे के बाद भी मगरमच्छ के पेट से न तो किशोर का कोई अंश मिला न ही कोई सुराग। इसके बाद भी गुस्साए ग्रामीणों ने एक नहीं मानी और मगमच्छ को पंतनगर ले जाकर एक्स-रे करने पर अड़ गए। किसी तरह वन विभाग के अफसरों ने ग्रामीणों को शांत किया और मगरमच्छ को जाल में बांधकर पंतनगर रवाना किया गया, लेकिन रास्ते में ही मगरमच्छ ने ही दम तोड़ दिया। इसके बाद वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ का पोस्टमार्टम किया तो फिर भी उसके पेट से न निगला गया किशोर मिला न ही उसके शरीर का कोई अंश। एक निर्दोश मगरमच्छ को ग्रामीणों की क्ररता और बेरहमी ने मौत के घाट उतार दिया। बच्चे को किस मगरमच्छ ने निगला यह अभी भी रहस्य बना हुआ है। वहीं, वन विभाग के अफसरों ने पोस्टमार्टम के बाद पंतनगर के रास्ते में ही मगरमच्छ को दफना दिया है।

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बता दें कि किशोर को निगलने के बाद ग्रामीण इतने गुस्से में थे कि मगरमच्छ को जाल में फंसाने के बाद उस पर वह ताबड़तोड़ हमला करने लगे। इससे मगरमच्छ को गंभीर चोटें आई हैं। इलाके के रेंजर राजेंद्र मिश्रा ने बताया कि मगरमच्छ की मौत हल्द्वानी चोरगलिया के बीच किशनपुर रेंज के पास हुई है। इसलिए मगरमच्छ का पोस्टमार्टम भी वहीं पर किया जा रहा है। पोस्टमार्टम के बाद उसे दफनाया गया है।

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बता दें कि खटीमा के सुनपहर मेहरबान नगर निवासी 11 साल के वीर सिंह पुत्र स्वर्गीय शोभा प्रसाद कल देर शाम अपने दोस्तों के साथ अपनी भैंसे चुगा रहा था। इस दौरान देवहाा नदी में उसकी एक भैंस चली गई। उसे बाहर निकालने के लिए किशोर नदी में कूदा। इसी दौरान मगरमच्छ ने उसे निगल लिया। आनन-फानन में उसके दोस्तों ने किसी तरह घरवालों को सूचना दी। सूचना के बाद मौके पर आसपास के लोग भी पहुंच गए और वन विभाग को सूचना दी गई। वन विभाग स्थानीय लोगों ने मिलकर तीन मगरमच्छ जाल में फंसाकर बाहर निकाले। इनमें से 2 छोटे होने के कारण वापस नदी में छोड़ दिया गया। मगरमच्छ का एक्स-रे करवाया गया, लेकिन फिर भी ग्रामीण नहीं माने और पंतनगर में इसका दोबारा एक्स-रे करवाने पर अड़ गए। इस दौरान किसी तरह ग्रामीणों को शांत कर मगरमच्छ को पंतनगर के लिए रवाना किया गया, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। हैरान करने वाली बात यह है कि किशोर की दर्दनाक मौत तो हुई ही है, लेकिन एक बेजुबान जानवर को बेरहमी से जाल में बांधकर पहले जमकर मारा गया। अगर उसके पेट से भी बच्चे का शव या कोई अंश निकल जाता तब तो ग्रामीणों का गुस्सा भी जायज था, लेकिन बेकसूर मगर से इस तरह बैर और फिर उसे मार-मार कर मौत के घाट उतारना कहां तक जायज है।