/ Jun 16, 2025
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IRAN ISRAEL CONFLICT: मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच का तनाव अब पूरी तरह से एक खुले युद्ध में बदल चुका है। रविवार रात इज़राइल ने ईरान के विदेश मंत्रालय को निशाना बनाते हुए एक घातक हमला किया, जिसमें 100 से अधिक लोग घायल हो गए। यह हमला उस सैन्य कार्रवाई के तुरंत बाद हुआ जिसमें इज़राइली सेना ने ईरानी रक्षा मंत्रालय पर हमला किया था। ईरान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक इन हमलों में 224 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,277 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। दूसरी ओर, ईरान ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए सोमवार सुबह सेंट्रल इज़राइल पर चार बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं।
इस हमले में पांच लोगों की जान चली गई और 90 से अधिक लोग घायल हो गए। अब तक ईरानी हमलों में इज़राइल में कुल 20 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब 500 लोग घायल हुए हैं। इसका असर न केवल क्षेत्रीय स्थिरता पर, बल्कि वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर भी साफ दिखाई दे रहा है। पहले यह टकराव प्रॉक्सी संगठनों और सीमित हमलों तक सिमटा था, लेकिन अब दोनों देशों की सेनाएं सीधे एक-दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी हैं।
13 जून को इजराइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” के तहत ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बड़े स्तर पर हवाई हमले किए। इन हमलों में नतांज और फोर्डो जैसे प्रमुख परमाणु केंद्रों को गंभीर नुकसान पहुंचा। इजराइल की सेना ने 200 से अधिक फाइटर जेट्स के साथ यह कार्रवाई की, जिसमें इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख हुसैन सलामी और ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी सहित कई शीर्ष अधिकारी मारे गए। ईरान के सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन हमलों में कम से कम 78 लोग मारे गए और 350 से अधिक घायल हुए।
इजराइल के इस हमले का जवाब ईरान ने उसी रात “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3” के तहत दिया। ईरान ने इजराइल पर 100 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें से कई तेल अवीव और यरुशलम में गिरीं। इन हमलों में एक महिला की मौत हुई और 63 लोग घायल हुए। इजराइल की रक्षा प्रणाली ‘आयरन डोम’ और ‘डेविड स्लिंग’ कई मिसाइलों को रोकने में सफल रही, लेकिन ईरान ने दावा किया कि कुछ मिसाइलें इजराइल के रक्षा मंत्रालय तक पहुंचीं।
यह युद्ध अचानक नहीं फूटा। इसकी पृष्ठभूमि 1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति में है, जब ईरान ने इजराइल को इस्लाम का दुश्मन घोषित कर दिया था। इसके बाद से लेबनान में हिजबुल्लाह और गाजा में हमास जैसे प्रॉक्सी संगठनों के जरिए दोनों देश टकराते रहे। 2023 में हमास द्वारा इजराइल पर हमला और 2024 में इजराइल द्वारा दमिश्क स्थित ईरानी दूतावास पर हमला इस संघर्ष की नींव बने। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें दावा किया गया कि ईरान के पास 60% तक संवर्धित यूरेनियम है, जो लगभग 9 परमाणु बमों के लिए पर्याप्त है।
इजराइल ने इसे अपनी सुरक्षा के लिए सीधा खतरा मानते हुए सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी, जबकि ईरान ने इन आरोपों को खारिज कर अपने परमाणु कार्यक्रम को शांति के लिए जरूरी बताया। इस युद्ध ने वैश्विक समुदाय को भी हिला कर रख दिया है। संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने 13 जून को एक आपात बैठक बुलाई, जिसमें युद्ध की निंदा की गई और संयम बरतने की अपील की गई। IAEA प्रमुख राफाएल ग्रोस्सी ने क्षेत्रीय परमाणु खतरे को गंभीर मानते हुए चेतावनी दी कि इस युद्ध के चलते दुनिया परमाणु संकट की ओर बढ़ सकती है।
अमेरिका ने इजराइल का समर्थन करते हुए उसकी रक्षा प्रणाली को तकनीकी मदद दी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक तरफ इजराइल का साथ दिया तो दूसरी ओर शांति वार्ता की भी अपील की। भारत ने इस पूरे संघर्ष पर गहरी चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने दोनों देशों से संवाद के जरिए विवाद सुलझाने की अपील की है। भारत के लिए यह युद्ध तेल आपूर्ति, खाड़ी देशों में रहने वाले लाखों भारतीयों की सुरक्षा, और भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स को प्रभावित कर सकता है। भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट दर्ज की गई है। तेल की कीमतों में 7.5% की उछाल आने से वैश्विक आर्थिक संतुलन पर दबाव बढ़ गया है।
मिडिल ईस्ट में फिर भड़का तनाव, इज़राइल-ईरान जंग के मुहाने पर
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