उत्तराखंड में क्यों मनाई जाती है ईगास? जानिए पूरी कहानी

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Igas festival 2022
Igas festival 2022

Igas festival 2022

यूं तो दीपावली का त्योहार सभी ने धूमधाम से मनाया है,लेकिन क्या आप जानतें हैं कि उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन बाद एक और त्योहार मनाया जाता है जिसे ईगास बग्वाल कहते हैं। यह पर्व कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है।

Igas Festival post

मान्यताओं के अनुसार जब भगवान श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त किया और माता सीता लक्ष्मण के साथ 14 साल के वनवास को पूरा करके अपने राज्य वापस आए तो उस वक्त लोगों ने दीये जलाकर उनका भव्य स्वागत किया था इसे दिवाली के त्योहार के रुप में हम सभी जानते हैं लेकिन अयोध्या से गढ़वाल तक के लोगों को इसकी जानकारी मिलने में लगभग 11 दिन का समय लग गया था और यही वजह है कि भगवान श्री राम के अपने राज्य वापस आने पर स्थानीय लोगों ने दीये जलाकर भगवान श्री राम का स्वागत किया। वहीं 11 दिन के बाद स्थानीय लोगों में इगास मनाए जाने की परंपरा आज भी है।

Igas festival 2022 भैलों खेलती महिला

Igas festival 2022
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दूसरी मान्यता ये भी है कि गढ़वाल में वीर माधव सिंह भंडारी टिहरी के राजा महीपति शाह की सेना के सेनापति थे। करीब 400 साल पहले राजा ने माधव सिंह को सेना लेकर तिब्बत से युद्ध करने के लिए भेजा था। इसी बीच दिवाली का त्योहार भी था, परंतु त्योहार तक कोई भी सैनिक जब वापस नहीं आया तो सबने सोचा कि माधव सिंह उनके सैनिक युद्ध में शहीद हो गए। मगर दिवाली के ग्यारहवें दिन माधव सिंह भंडारी अपने सैनिकों के साथ तिब्बत से युद्ध जीतकर वापस आए और फिर दिवाली मनाई।

इस दिन लोग लकड़ियों के छोटे छोटे टुकड़ों को इकठ्ठा करके भैलों बनाते है और फिर सब लोग एक जगह पर एकत्रित होते हैं और उसे गोल गोल घूमाते हैं साथ ही इस दिन लोग लोकनृत्य भी करते हैं। इस दिन घरों की सफाई की जाती है, घरों में मिठे पकवान बनाए जाते हैं। साथ ही अपने ईष्ठ देवी देवताओं की पूजा की जाती है।

Igas festival 2022: सीएम धामी का ट्वीट 

इस मौके पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अवकाश घोषित किया है। साथ ही उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आओ हम सब  मिलकर इगास पर्व को मनाएंगे नई पीढ़ी को अपनी संस्कृत से जुड़ाएंगे और लोकपर्व इगास हमारी संस्कृति का प्रतीक है इस पर्व को और खास बनाने के लिए इस दिन हमारे राज्य में छुट्टी रहेगी ताकि हम सब ये त्योहार अपने परिवार कुटुंब के साथ गांव में धूमधाम से मना सके। उन्होंने लिखा कि हमारा उद्देश्य है कि हमारी नई पीढ़ी भी पारंपरिक त्यौहारों से जुड़ी रहे।

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