क्यों कहा जाता है इस मंदिर को भूतों का सुप्रीम कोर्ट?

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Ghost Temple: इस मंदिर में लगता है भूतों का मेला

Ghost Temple: एक ऐसा मंदिर जहां भूतों का लगता है मेला, इस मंदिर (Ghost Temple) को भूतों का सुप्रीम कोर्ट भी कहा जाता है जहां उनकी हाजरी लगती है और फिर सुनाया जाता है फैसला।

ये मंदिर (Ghost Temple) बिहार के कैमूर जिले के चैनपुर में स्थित है जिसका नाम है हरसु ब्रह्मधाम (Ghost Temple). ये मंदिर भूत- प्रेत बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में एक विषेश मेले का भी आयोजन किया जाता है जिसमें भूतों का एक दरबार (Ghost Temple) सजाया जाता है। इस मेले में कई ओझा- गुणी आते हैं और लोगों के शरीर पर से भूतों को भगाते हैं।

अगर कोई व्यक्ति किसी भूत बाधा से प्रभावित होता है और इस मंदिर (Ghost Temple) में आता है तो वो कभी भी यहां से खाली हाथ वापिस नहीं लौटता है। भूत बाधा से प्रभावित व्यक्ति यहां धूप, बत्ती और कपूर लेकर आते हैं जिसके बाद ओझा द्वारा भूत भगाने की क्रिया शुरू की जाती है।

स्थानीय लोगों की इस मंदिर (Ghost Temple) में इतनी आस्था है कि वह लोग इस मंदिर को भूतों का सुप्रीम कोर्ट भी कहते हैं जहां इन भूतों पर सुनवाई होती है। इस मंदिर (Ghost Temple) के पुजारी का कहना है कि यहां 650 सालों से भी पहले से ये भूतों का मेला लग रहा है।

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क्या है मंदिर की कहानी?

इस मंदिर (Ghost Temple) के यहां बनने की भी एक कहानी है। दरअसल 1428 ईवी में इस इलाके में राजा शालिवाहन का राज हुआ करता था। राजा का कोई भी पुत्र नहीं था और उनके द्वारा पुत्र प्राप्ति के लिए काफी कुछ किया गया लेकिन बावजूद इसके उनका कोई पुत्र नहीं हुआ। इस समय पर राजा के मंत्री और राजपुरोहित हुआ करते थे हरसू पांडे। हरसू ने भी राजा को पुत्र प्राप्ति के लिए कई सुझाव दिए, इनमें से एक सुझाव था दूसरी शादी करने का सुझाव, जिसके बाद राजा ने दूसरी शादी करली और आखिरकार राजा को पुत्र प्राप्ति हुई।

इस दौरान राजपुराहित द्वारा राजा को कुछ नियम बताए गए थे जिनका उन्हें पालन करना था, लेकिन राजा ने उनमें से किसी भी नियम का पालन नहीं किया और साथ ही अपनी पहली पत्नी के कहने पर उन्होंने राजपुरोहित का घर जमींदोज कर दिया।

राजा द्वारा ये सब करने के बाद राजपुरोहित को गुस्सा आया और वो राजा के महल में 21 दिन के आमरण अनशन पर बैठ गए। इसका नतीजा ये निकला कि जनवरी 1914 ईस्वी में राजपुरोहित ने अपना शरीर त्याग दिया जिसके बाद राजा के पूरे राज पाठ का विनाश हो गया।

जिस स्थान पर राजपुरोहित ने अपना शरीर त्यागा था उसी जगह पर हरसू ब्रह्म (Ghost Temple) का गर्भगृह है। इस मंदिर (Ghost Temple) में जहां इंसान भूत बाधा से निजात पाने के लिए आता है वहीं संतान प्राप्ति के लिए भी आता है।

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