गंगा जल क्यों नहीं होता अशुद्ध, वैज्ञानिक भी हैरान ?

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Gangajal kharab kyu nahi hota
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गंगाजल कितने समय बाद तक रखने के बाद भी खराब क्यों नहीं होता? गंगाजल कितना भी पुराना हो जाए न तो वो खराब होता है और ना ही उसमें कीड़े पड़ते हैं आखिर ऐसा क्यों होता है? धर्म कहता है कि गंगा सबसे पवित्र नदी है इसलिए ऐसा होता है लेकिन अगर विज्ञान की बात की जाए तो विज्ञान तथ्यों पर बात करता है। आज के इस आर्टीकल में हम आपको इसके कुछ कारण बताएंगे।

दरअसल वैज्ञानिकों ने गंगाजल को लेकर रिसर्च शुरू की थी। गंगा के पानी में बिमारी पैदा करने वाले ई-कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। कुछ डॉक्टरों ने ये परिक्षण ऋषिकेश और गंगोत्री के गंगाजल में किया जहां प्रदूषण न के बराबर है।

उन्होंने परीक्षण के लिए तीन तरह के गंगाजल का प्रयोग किया। एक ताजा दूसरा आठ साल पुराना और तीसरा सोलह साल पुराना उन्होंने तीनों गंगाजल में ई कोलाई बैक्टीरिया डाला जिसके बाद पता चला कि ताजे गंगाजल में बैक्टीरिया तीन दिन तक जीवित रहा आठ साल पुराने पानी में एक हफ्ते और सोलह साल पुराने पानी में पंद्रह दिन।

इस परीक्षण में पता चला कि गंगाजल के पानी में ई कोलाई बैक्टीरिया जिवित नहीं रहा। जोकि बिमारी पैदा करने वाले जिवाणुओं को मार देता है उसको नियंत्रित करता है। हालांकि उनकी रिसर्च यहीं खत्म नहीं हुई। उन्होंने कईं सारे रिसर्च भी किए। मतलब ये हुआ कि गंगाजल में कोई दैवीय शक्ति है जिसका पता वैज्ञानिक भी नहीं लगा पा रहे हैं।

Gangajal kharab kyu nahi hota: लोग पुराने गंगाजल के बजाय नए गंगाजल का ज्यादा प्रयोग क्यों करते हैं ?

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वहीं वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले बैक्टीरियो फाज वायरस होते हैं। ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं, इसकी वजह से गंगा के पानी में किसी भी तरह का कोई बैक्टीरिया नहीं होता। फिर आप उसे कितने भी साल रख दिजिए उसमें कीड़ा होने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। हालांकि यदि आप गंगाजल को गर्म करते हैं तो उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कुछ कम हो जाती है। इसलिए आपने देखा होगा कि लोग पुराने गंगाजल के बजाय नए गंगाजल का ज्यादा प्रयोग करते हैं।

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वहीं तीसरा कारण ये भी है कि गंगा के जल में ऑक्सीजन लेवल है वो देश ही नहीं बल्कि दुनियां के साफ नदियों से 25 प्रतिशत ज्यादा है। ये बहुत ही तेजी से वातावरण से ऑक्सीजन सोखती है। यहां तक कि दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़े हुए पदार्थों को हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है। इसिलिए गंगा जीवन दायिनी है, आज फले ही गंगाजल दूषित हो गया है जिसे साफ करने की मुहिम चल रही है।

Gangajal kharab kyu nahi hota : गंगा नदी का बहाव

गंगा दरअसल हिमालय के क्षेत्रों से होकर आती है। जहां उसमें कईं तरह की मिट्टी खनीज और जड़ी बूटी मिल जाती है इन सबके मिलने से कुछ ऐसा मिश्रण बनता है जिससे गंगाजल सामान्य जल की तरह नहीं रह पाता इसिलिए कहते हैं कि गंगाजल सबसे पवित्र और पूजनीय है लेकिन गंगा जल को धार्मिक नजरिए से देखे तो गंगा साक्षात मां के सम्मान है जो धरती पर भागीरथ के प्रयास से आई है। ये लोगों को जीवन प्रदान करने वाली है इस गंगा जल से खेतों की सिंचाई होती है। जानवरों की प्यास बुछती है। इसिलिए कहते हैं कि गंगा की महिमा अपरंपार है। गंगा जैसे पवित्र नदी और कहीं नही है।

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