इस मंदिर में क्यों आते हैं मरने और मारने लोग?

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Devaragattu Bunny Festival: क्यों चलती हैं इस मंदिर में भक्तों के बीच लाठियां?

Devaragattu Bunny Festival: भारत देश अपनी कई अनोखी परंपराओं और प्रथाओं के लिए जाना जाता है। इन्हीं प्रथाओं में से कुछ प्रथाएं इतनी ज्यादा खतरनाक होती हैं जिनमें कई लोगों की जानें भी चली जाती हैं, लेकिन बावजूद इसके ये प्रथाएं वैसी की वैसी ही चली आ रहीं हैं।

ऐसी ही एक प्रथा है आंध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले के एक मंदिर की जिसका नाम है देवरगट्टू मंदिर (Devaragattu Bunny Festival). इस मंदिर में दशहरे के अवसर पर एक प्रथा कई सालों से चली आ रही है, जिसमें हजारों की तादाद में लोग एक दूसरे पर लाठियों से वार करते हैं।

ये आयोजन दशहरे की मध्य रात्रि से शुरु होता है और अगले दिन सूर्योदय तक चलता रहता है। इस दौरान इस आयोजन में सम्मिलित हजारों की तादाद में लोग एक दूसरे पर लाठियों से वार करते हैं और जबतक उनके कपड़े खून से लथपथ न हो जाएं तब तक बैठते नहीं हैं।

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इस आयोजन के दौरान इलाके में पुलिस और डॉक्टरों की टीम भी तैनात की जाती है और अगर कोई व्यक्ति ज्यादा ही गंभीर रूप से घायल हो जाता है तो उसे डॉक्टरों द्वारा तुरंत इलाज दिया जाता है। हालांकि इन घायलों में से ज्यादातर लोग डॉक्टरों से इलाज नहीं लेते हैं और अपने घावों पर हल्दी का लेप लगाकर वापिस मैदान में उतर जाते हैं।

इस भयानक प्रथा (Devaragattu Bunny Festival) में कई बार लोगों के सिर फट जाते हैं और यहां तक की कई लोगों की मौत भी हो जाती है, लेकिन फिर भी वो इस प्रथा को बंद नहीं करना चाहते। इस प्रथा में भाग लेने के लिए देवरगट्टू मंदर (Devaragattu Bunny Festival) के आस पास के गांव के लोग यहां इकठ्ठा होते हैं।

इस प्रथा (Devaragattu Bunny Festival) को लेकर लोगों की मान्यता है कि इसी दिन यहां भगवान शिव और माता पार्वती मलेश्वर और मलामा के रूप में प्रकट हुए थे। लोगों का ये भी मानना है कि जिस तरह भगवान शिव ने दैत्यों पर वार कर इस शृस्टी का निर्माण किया उसी तरह वह लोग भी लाठियों से एक दूसरे पर वार करते हैं और दुनिया को पाप मुक्त बनाने में अपना योगदान देते हैं।

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इस प्रथा (Devaragattu Bunny Festival) की सबसे अनोखी बात तो ये है कि लोग अपनी इच्छा से इसमें भाग लेते हैं और एक दूसरे पर वार करते समय इन्हें किसी भी प्रकार का कोई दर्द महसूस नहीं होता है। इस प्रथा (Devaragattu Bunny Festival) में कई लोगों ने अपनी जान तक गवां दी है लेकिन बावजूद इसके कोई भी इस प्रथा को खत्म करने के समर्थन में नहीं है।

इस मंदिर में क्यों आते हैं मरने और मारने लोग?

लोगों की मान्यता है कि ये प्रथा (Devaragattu Bunny Festival) सैकड़ों सालों से चली आ रही है, यहां तक की हर साल प्रशासन द्वारा इस प्रथा (Devaragattu Bunny Festival) पर कई बार रोक लगाने की कोशिश भी की गई लेकिन वह भी इसमें असफल रहे और यही कारण है कि आज भी ये खूनी प्रथा (Devaragattu Bunny Festival) इस मंदिर में आयोजित की जा रही है।

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