/ Nov 27, 2025
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DEHRADUN BASTI NEWS: देहरादून की काठबंगला बस्ती में रहने वाले सैकड़ों परिवारों पर बेघर होने का संकट मंडरा रहा है। मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने रिसपना नदी के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में सख्त कदम उठाते हुए काठबंगला बस्ती के 116 परिवारों को नोटिस जारी कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, इन नोटिसों में स्पष्ट निर्देश दिया गया है कि निवासी 15 दिनों के भीतर अपने आवास खाली कर दें। यह कार्रवाई राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और उत्तराखंड हाईकोर्ट के कड़े निर्देशों के अनुपालन में की जा रही है, जिसका उद्देश्य बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों से अवैध निर्माणों को हटाना है।

नोटिस मिलने के बाद से ही बस्ती में हड़कंप मचा हुआ है और आज 27 नवंबर को प्रभावित परिवारों ने देहरादून नगर निगम पहुंचकर अपना विरोध दर्ज कराया। काठबंगला बस्ती, जिसमें तरला नागल और धकपट्टी जैसे क्षेत्र शामिल हैं, रिसपना नदी के किनारे बसी हुई है। यह पूरा इलाका नदी के अधिसूचित बाढ़ क्षेत्र के अंतर्गत आता है। एमडीडीए अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने एनजीटी की उन गाइडलाइन्स का पालन किया है, जिनमें बाढ़ के मैदानों पर बने निर्माणों की पहचान कर उन्हें हटाने का आदेश दिया गया था। पिछले साल भी एमडीडीए और देहरादून नगर निगम ने इसी क्षेत्र में संयुक्त रूप से ध्वस्तीकरण अभियान चलाया था।

निर्णय यह लिया गया है कि जो परिवार 11 मार्च 2016 से पहले यहां बसे थे, उन्हें पुनर्वास नीति के तहत डीएमसी द्वारा काठबंगला क्षेत्र में ही बनाए गए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के आवासीय फ्लैटों में शिफ्ट किया जाएगा। आवंटन प्रक्रिया 30 नवंबर तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। स्थानीय निवासियों और प्रदर्शनकारियों के बयानों के आधार पर, उनका कहना है कि जिन फ्लैटों में उन्हें भेजा जा रहा है, वे सुरक्षित नहीं हैं। निवासियों का आरोप है कि पुनर्वास के लिए बने ये फ्लैट खुद नदी के बिल्कुल किनारे हैं और पिछले 10 वर्षों से खंडहर हालत में पड़े थे।

आज सुबह आक्रोशित बस्तीवासी, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं, अपनी फरियाद लेकर देहरादून नगर निगम पहुंचे। प्रदर्शनकारियों ने महापौर सौरभ थापलीयाल से मुलाकात कर उन्हें नोटिस की प्रतियां सौंपी और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को तत्काल रोकने की मांग की। लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि जब तक पूर्ण और सुरक्षित पुनर्वास नहीं होता, वे यहां से नहीं हटेंगे। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि नियमों के मुताबिक 2016 से पहले के निवासियों पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। (DEHRADUN BASTI NEWS)

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