स्त्री के साथ हुई इस घटना से श्रापित हुआ पूरा वन

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Dandakaranya Van: श्रीराम क्यों ठहरे थे इस श्रापित वन में

Dandakaranya Van: क्या आपको मालूम है कि हमारे देश में एक ऐसा जंगल मौजूद है जो श्रापित माना जाता है। इस वन (Dandakaranya Van) को आखिर क्यों श्राप मिला था और हैरान कर देनें वाली बात तो ये है कि इस श्रापित वन (Dandakaranya Van) में श्री राम ने भी लक्षमण जी और सीता माता के साथ वनवास काटा था।

ये जंगल (Dandakaranya Van) करीबन 93 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जो छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के कई राज्यों का हिस्सा है। दरअसल सतयुग में मनु के पुत्र थे महान राजा इक्ष्वांकु। राजा इक्ष्वांकु द्वारा सूर्यवंश की स्थापना की गई थी और इनके 100 पुत्र थे, जिनमें से सबसे छोटे पुत्र का आचरण सही नहीं था, राजा का सबसे छोटा पुत्र अपने पिता की कोई भी बात नहीं मानता था, जिसके कारण राजा इक्ष्वांकु अपने उस पुत्र से नाराज रहते थे।

राजा ने अपने इस उदंडी पुत्र का नाम रखा दंड क्योंकि उन्हें अपना ये पुत्र अपने लिए एक दंड के समान महसूस होता था, राजा के कुशल राजपाठ में उनके बेटे का ये आचरण किसी दंड से कम न था। राजा अपने इस पुत्र को अपने आस पास नहीं देखना चाहते थे जिसके बाद उन्होंने अपने इस पुत्र को अपने से दूर भेजते हुए उसे विंध्य और शैवल की पहाड़ियों से घीरा पूर्वी- मध्य भारत का इलाका सौंप दिया।

इसके बाद उन्होंने दंड का भविष्य सुधारने के लिए उसका गुरू बनाया गुरु शुक्राचार्य को। इस दौरान दंड ने अपने राज्य मधुमंता में स्थित गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में जाकर शास्त्रों का अध्ययन करना शुरू किया। इस आश्रम में गुरू शुक्राचार्य की सुंदर कन्या अरजा भी रहती थी।

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स्त्री के साथ हुए दुर्व्यवहार की सजा आज भी भोग रहा ये वन

एक रोज दंड की बुरी नजर उस सुंदर कन्या पर पड़ी और उसने मर्यादा की सारी हदें पार करते हुए उसके साथ दुराचार कर दिया। इस पूरी घटना के बारे में अरजा ने अपने पिता गुरु शुक्राचार्य को जानकारी दी जिसके बाद गुरू शुक्राचार्य अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने दंड को श्राप देते हुए कहा कि अगले 7 दिनों में तुम और तुम्हारा पूरा सामराज्य नष्ट हो जाएगा, इसके साथ ही तुम्हारे सामाराज्य से 900 कोस दूर तक भी इस श्राप का असर देखने को मिलेगा।

गुरु शुक्राचार्य ने कहा कि ये पूरा क्षेत्र शमशान में बदल जाएगा, इस पूरे इलाके में न ही कोई जीवन नजर आएगा और न ही इसके कोई चिह्न। दंड को ये श्राप देने के बाद गुरु ने अपनी पुत्री को अपने आश्रम के सरोवर के पास बैठकर भगवान का ध्यान करने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पुत्री से कहा कि इस विनाश के दौरान जो भी जीव तुम्हारे नजदीक रहेगें वह नष्ट नहीं होंगे।     

इस प्रकार महान राजा इक्ष्वांकु के पुत्र दंड का पूरा सामराज्य नष्ट हो गया। 7 दिनों में दंड का सम्पूर्ण खुशहाल सामराज्य शमशान में तबदील हो गया। वहीं कुछ समय बाद इस पूरे क्षेत्र में एक घनघोर जंगल (Dandakaranya Van) बस गया, इतना घनघोर कि यहां सूरज की एक किरण तक नहीं आ सकती। इस प्रकार इस जगह का नाम पड़ा दण्डकारण्य (Dandakaranya Van).

आपको बता दें कि इतिहास में इस जगह (Dandakaranya Van) के बारे में कई बार जिक्र किया गया है। अपने वनवास के दौरान श्री राम लक्ष्मण जी और सीता माता के साथ इस क्षेत्र (Dandakaranya Van) के आसपास ही रहा करते थे। वहीं शास्त्रों में इस क्षेत्र (Dandakaranya Van) को असुरों का निवास स्थान भी बताया जाता है। बता दें कि पंचवटी भी इसी क्षेत्र (Dandakaranya Van) में स्थित है जहां से रावण ने माता सीता का हरण किया था। 

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