केदारनाथ धाम में कार्यों का जायजा लेने के बाद सीएम पहुंचे कालीमठ मंदिर

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मां काली का लिया आशीर्वाद, भाजपा कार्यकर्ताओं से की मुलाकात

रुद्रप्रयाग (नरेश भट्ट): उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों एवं यात्रा व्यवस्थाओं का जायजा लेने के बाद सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर के दर्शन किये। इस दौरान उन्होंने मां काली का आशीर्वाद लेने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। कालीमठ पहुंचने पर स्थानीय जनता एवं भाजपा कार्यकर्ताआंे ने गर्मजोशी से सीएम धामी का स्वागत किया।

आगामी छह मई से शुरू हो रही केदारनाथ यात्रा को लेकर सरकार और शासन-प्रशासन तैयारियों में जुट गया है। आज प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी केदारनाथ पहुंचे। यहां उन्होंने मंदिर परिसर के आसपास मुख्य मार्ग में अस्त-व्यस्त पड़े मलबे और निर्माणाधीन सामग्री को हटाए जाने के निर्देश दिए। साथ ही निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के साथ तेजी लाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ ट्रैक की जानकारी लेते हुए यात्रियों की सुविधा अनुसार विभिन्न जगहों पर ठहरने, पानी एवं बरसात के दौरान रैन सेटर के निर्माण कार्यों में गति लाने की बात कही। मुख्यमंत्री ने मंदाकिनी एवं सरस्वती नदी के किनारे सुरक्षा दीवार के साथ रेलिंग के निर्माण कराए जाने को कहा।

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साथ ही उन्होंने वासुकीताल ट्रैक को विकसित किए जाने से संबंधित जानकारी लेते हुए इसमें शीघ्र कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि केदारनाथ का विकास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों के अनुसार किया जोयगा। केदारनाथ के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कालीमठ घाटी के सिद्धपीठ कालीमठ मंदिर पहुंचे। जहां मुख्यमंत्री ने कालीमठ मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने स्थानीय जनता के अलावा कार्यकर्ताओं से भी संवाद किया।

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कालीमठ मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर सबसे ताकतवर मंदिरों में से एक है। यह ऐसी जगह है, जहां देवी माता काली अपनी बहनों माता लक्ष्मी और मां सरस्वती के साथ स्थित है। पौराणिक मान्यता है कि माता सती ने पार्वती के रूप में दूसरा जन्म इसी शिलाखंड में लिया था। वहीं, कालीमठ मंदिर के समीप मां ने रक्तबीज का वध किया था। उसका रक्त जमीन पर न पड़े, इसलिए महाकाली ने मुंह फैलाकर उसके रक्त को चाटना शुरू किया। रक्तबीज शिला नदी किनारे आज भी स्थित है। इस शिला पर माता ने उसका सिर रखा था। रक्तबीज शीला वर्तमान समय में आज भी मंदिर के निकट नदी के किनारे स्थित है। कालीमठ मंदिर में एक अखंड ज्योति निरंतर जली रहती है। भारतीय इतिहास के अद्वितीय लेखक कालिदास का साधना स्थल भी यही रहा है। इसी दिव्य स्थान पर कालिदास ने मां काली को प्रसन्न कर विद्वता को प्राप्त किया था।

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इसके बाद कालीमठ मंदिर में विराजित मां काली के आशीर्वाद से ही उन्होंने अनेक ग्रन्थ लिखे।ं, जिनमें से संस्कृत में लिखा हुआ एकमात्र काव्य ग्रन्थ “मेघदूत” जो कि विश्वप्रसिद्ध है। हर साल नवरात्रि में कालीमठ मंदिर में भक्तों की भीड़ का तांता लगा रहता है और दूर-दूर से श्रद्धालु मां काली का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचते हैं। इस सिद्धपीठ में पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालु मां को कच्चा नारियल व देवी के श्रृंगार से जुड़ी सामग्री, जिसमें चूड़ी, बिंदी, छोटा दर्पण, कंघी, रिबन, चुनरियां अर्पित करते हैं। देशभर में कालीमठ मंदिर एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर मां काली, मां सरस्वती और मां लक्ष्मी के अलग अलग मंदिर बने हुए हैं।

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कालीमठ मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि सच्चे मन से मांगी गयी मनोकामना या मुराद जरुर पूरी होती है। इसलिए सीएम पुष्कर सिंह धामी भी मां काली के दरबार में पहुंचे हुए हैं। सीएम धामी चंपावत से उपचुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में वे अपनी जीत को सुनिश्चित करने को लेकर मां काली का आशीर्वाद लेने आए हैं।