Churu Fort: क्यों राजा ने अपने सैनिकों को ऐसा करने का दिया आदेश?
Churu Fort: प्राचीन काल में राजा महाराजा अपने सामराज्य की रक्षा करने के लिए कुछ भी करते थे, लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसे राजा के बारे में सुना है जिसने अपने दुश्मनों को हराने के लिए उनपर चांदी के गोले दागे हों। ये एक ऐसा एतिहासिक किला (Churu Fort) था जिसकी रक्षा के लिए इसके राजा ने दुश्मनों पर चांदी के गोले दगवाए। ऐसी घटना आजतक दुनिया में कहीं नहीं हुई थी और न ही आगे हुई, यही कारण है कि इस किले (Churu Fort) का नाम विश्व के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है।
ये ऐतिहासिक किला (Churu Fort) राजस्थान के चूरू जिले में स्थित है जिसे चूरू किले (Churu Fort) के नाम से जाना जाता है। इस किले का निर्माण साल 1694 में ठाकुर कुशल सिंह द्वारा करवाया गया था। दरअसल इस किले (Churu Fort) का निर्माण राज्य के लोगों को सुरक्षा प्रदान करना और आत्मरक्षा करना था।
इस किले (Churu Fort) के निर्माण के 118 साल बाद यानी की 1814 में जब इस पर दुश्मनों द्वारा आक्रमण किया गया तो इस युद्ध में सबसे हैरान कर देने वाला वाक्य हुआ। युद्ध के वक्त जब गोला बारूद खत्म हो गया तो ऐसे में दुश्मनों को मौत के घाट उतारने के लिए उन पर चांदी के गोले दागे गए।
वर्ष 1814 में इस किले (Churu Fort) पर ठाकुर कुशल सिंह के वंशज का ही राज था। इतिहासकारों की मानें तो उस वक्त इस किले (Churu Fort) पर राज करने वाले ठाकुर शिवजी सिंह की सेना में मात्र 200 पैदल सैनिक थे और 200 घुड़सवार सैनिक थे, मगर देखते ही देखते ठाकुर शिवजी सिंह की सेना की संख्या अचानक बढ़ गई। दरअसल इस सेना में वहां रह रहे लोग भी शामिल हो गए थे, क्योंकि ये लोग अपने राजा के लिए कुछ भी कर गुजरने की चाहत रखते थे, इसलिए सभी ने ये फैसला लिया कि वह एक सैनिक की तरह दश्मनों से लड़ेगें।
ये युद्ध हुआ था अगस्त 1814 में, जब बीकानेर के राजा सूरत सिंह द्वारा चूरू किले (Churu Fort) पर आक्रमण किया गया। इस युद्ध में ठाकुर शिवजी सिंह और उनकी सेना ने सूरत सिंह और उनकी सेना का डटकर सामना किया, लेकिन कुछ ही दिनों में ठाकुर शिवजी सिंह के पास गोला- बारूद खत्म हो गया।
अब गोला- बारूद खत्म होने के बाद राजा चिंता में पड़ गए कि अब वह अपने दुश्मनों को कैसे हराएंगे। ऐसे में राजा की प्रजा ने उनका हौंसला बढ़ाया। अपने राज्य की रक्षा करने के लिए सभी लोगों ने राजा को अपना सोना- चांदी दान कर दिया, जिसके बाद राजा शिवजी सिंह द्वारा अपने सैनिकों को दुश्मनों पर चांदी के गोले दागने का आदेश दिया गया।
अब जैसे ही ठाकुर शिवजी सिंह के सैनिकों द्वारा दुश्मन पर चांदी के गोले दागे गए वैसे ही दुश्मन सेना घबरा गई और हार मानकर वहां से भाग खड़ी हुई। ये घटना अपने अनोखेपन के कराण आज भी इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी गई है।
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