भगवान बुद्ध के इस दांत के लिए हुई थी कई लड़ाइयां

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Buddha Tooth
Buddha Tooth

Buddha Tooth: आज भी मौजूद है इस मंदिर में भगवान बुद्ध का दांत   

Buddha Tooth: एक ऐसा मंदिर जहां भगवान बुद्ध का दांत हर साल बढ़ता है। इस दांत (Buddha Tooth) को हासिल करने के लिए कई युद्ध भी किए गए। कभी ये दांत किसी राजा के पास रहा तो कभी किसी, लेकिन अंत में इस दांत को चुराया गया और इसके लिए एक मंदिर बनाया गया।

ये अनोखा मंदिर श्रीलंका के कैंडी शहर में मौजूद है जहां गौतम बुद्ध का ये दांत (Buddha Tooth) आज भी रखा हुआ है, भगवान बुद्ध का ये दांत कई सालों से बढ़ रहा है। इस मंदिर का नाम है दांत मंदिर (Buddha Tooth) जिसे प्राचीन समय में कैंडी के एक राजा द्वारा बनवाया गया था।

दरअसल 483 ईस्वा पूर्व में गौतम बुद्ध की मृत्यु के बाद उनके एक अनुयायी द्वारा उनके दांत (Buddha Tooth) निकाल लिए गए थे। आपको बता दें कि गौतम बुद्ध का अंतिम संस्कार उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में किया गया था और अंतिम संस्कार के दौरान ही उनके एक अनुयायी द्वारा उनके दांत (Buddha Tooth) निकाल लिए गए थे और इसके बाद ये दांत राजा ब्रह्मदत्त को सौंप दिए गए थे।

गौतम बुद्ध का ये दांत (Buddha Tooth) कई सालों तक राजा ब्रह्मदत्त के पास ही रहा लेकिन इस दांत को हासिल करने के लिए कई प्रदेशों के राजाओं में होड़ लगी हुई थी। कहा ये भी जाता है कि भगवान गौतम बुद्ध के दांत (Buddha Tooth) के लिए कई लड़ाईयां भी छिड़ी, जिसके बाद कभी ये दांत किसी राजा के पास रहता तो कभी किसी और के पास।

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इसके बाद एक दिन इस दांत (Buddha Tooth) को गौतम बुद्ध के किसी अनुयायी द्वारा चोरी किया गया और फिर इस दांत को चुपके से श्रीलंका पहुंचा दिया गया। उस समय पर श्रीलंका की राजधानी हुआ करती थी कैंडी और गौतम बुद्ध के अनुयायी ने कैंडी के राजा को भगवान बुद्ध का ये दांत (Buddha Tooth) सौंप दिया।

इसके बाद राजा द्वारा अपने महल के पास में ही एक सुंदर और भव्य मंदिर बनवाया गया जो केवल भगवान बुद्ध के दांत (Buddha Tooth) को ही समर्पित था। ये उस समय का एक भव्य मंदिर था जहां भगवान बुद्ध का दांत (Buddha Tooth) आज भी रखा हुआ है। हालांकि एक वक्त ऐसा भी था जब इस मंदिर में भी ये दांत सुरक्षित नहीं था।

साल 1603 में पुर्तगालियों द्वारा श्रीलंका पर हमला बोला गया, उस वक्त गौतम बुद्ध के इस दांत (Buddha Tooth) की रक्षा के लिए इसे दुम्बारा में छिपा दिया गया, लेकिन फिर बाद में इस दांत को दोबारा कैंडी के इस मंदिर में स्थापित कर दिया गया था।

यह दांत (Buddha Tooth) आज भी इस मंदिर में एक छोटी सी डिब्बी में रखा गया है। मंदिर में जो भी व्यक्ति जाता है वो इस दांत के दर्शन कर सकता है। लेकिन किसी को भी इस डिब्बी को खोलकर दांत को देखने की इजाज़त नहीं है।     

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मंदिर में रखे इस पवित्र दांत (Buddha Tooth) को प्रत्येक बुधवार स्नान कराया जाता है। स्नान कराने के लिए सुगंधित फूल मानुमुरा मंगलया के पानी का इस्तेमाल किया जाता है, इसके बाद इस पवित्र जल को वहां मौजूद सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद के रूप में बाटां जाता है।

इसके अलावा कैंडी शहर में आज भी प्रत्येक वर्ष जुलाई और अगस्त में ‘कैंडी पेराहेरा’ नाम का एक उत्सव बड़ी ही धूमधाम से मानाया जाता है। इस उत्सव में जिस डिब्बी में भगवान बुद्ध का ये पवित्र दांत रखा गया है उसे इस दौरान पूरे शहर में घुमाया जाता है।

वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने श्रीलंका दौरे के दौरान इस दंत अवशेष मंदिर के दर्शन किए थे और साथ ही गौतम बुद्ध के इस पवित्र दांत (Buddha Tooth) के भी दर्शन किए थे। आपको बता दें कि 1998 में यूनेस्को द्वारा भगवान बुद्ध के इस मंदिर को विश्व विरासत में भी शामिल किया गया था।  

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