गुम होती भाषा-बोली और संस्कृति को बचाने के लिए उठाएं कदम

0
148

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन, पहचान बनाए रखने के लिए मातृभाषा एक सशक्त माध्यम

देहरादून (संवाददाता): धूमिल होती मातृभाषा को पुनः जीवंत करने के उद्देश्य से देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ छात्रों ने उत्तराखंडी सरस्वती वन्दना के साथ किया। कार्यक्रम की खासियत रही कि सभी शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मियों ने अपनी अपनी भाषाओं में संवाद किया। किसी ने गढ़वाली, कुमाउंनी, तो किसी ने बंगाली, असमिया, भोजपुरी के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के औचित्य को समझाया और गुम होती भाषा बोली और संस्कृति को बचाने के लिए विशेष कदम उठाने पर जोर दिया।

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. प्रीति कोठियाल ने कहा कि मातृभाषा मात्र एक संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि ये हमारी पहचान है, हमारी विरासत है, जिसे हमें सहेज कर रखने की आवश्यकता हैद्य उन्होंने कहा कि मातृभाषा ही वो माध्यम है, जो हमें अपनी जड़ों, अपनी माटी से जोड़े रखता है। इसलिए शिक्षक होने के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम नयी पीढ़ी को उनकी मातृभाषा की उपयोगिता समझाएं। डॉ.नेहा डोभाल दक्षिण भारत सहित अन्य भाषाएँ बोलकर मातृभाषा के महत्व को समझाया।

dbn

इस दौरान छात्रों ने कार्यक्रम में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया साथ ही उत्कृष्ट रंगोली बनाकर और पोस्टरों पर अपनी भाषा में संवाद लिखकर मातृभाषा के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित कियाद्य वहीं देश के विभिन्न हिस्सों से यूनिवर्सिटी में पढने वाले छात्रों ने अपनी अपनी भाषा में संवाद किया और सभी के बीच अपनी भाषा में बोलते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। छात्रों का कहना था कि लोगों को अपनी भाषा बोलते हुए हिचकना नहीं, बल्कि गर्व महसूस करना चाहिए, क्योंकि एक क्षेत्र की भाषा, संस्कृति और पहचान दूसरी जगह तक पहुँचती है और उसका विकास होताद्य कार्यक्रम का आयोजन देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय के कुलाधिपाती संजय बंसल और उपकुलाधिपति अमन बंसल की देखरेख में संपन्न हुआ। इस दौरान डीन दिग्विजय, डॉ. नेहा डोभाल आदि अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।