/ Sep 30, 2024
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इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (benjamin netanyahu) ने गाजा युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले भाषण में ईरान को मध्य पूर्व के संघर्ष का मुख्य कारण बताया। उन्होंने दो नक्शे दिखाए, जिनमें एक समूह के देशों को “अभिशाप” और दूसरे समूह को “आशीर्वाद” बताया।
दिलचस्प बात यह रही कि इन नक्शों में वेस्ट बैंक और गाजा के फिलिस्तीनी क्षेत्रों को इजरायल का हिस्सा दिखाया गया। नेतन्याहू के दाहिने हाथ वाले नक्शे में ईरान, इराक, सीरिया और यमन को काले रंग में “अभिशाप” के रूप में दिखाया गया, जबकि बाएं हाथ वाले नक्शे में मिस्र, सूडान, सऊदी अरब और भारत को हरे रंग में “आशीर्वाद” के रूप में दिखाया गया। इसके अलावा, सीरिया का गोलन हाइट्स क्षेत्र भी इजरायल का हिस्सा दिखाया गया।
नेतन्याहू (benjamin netanyahu) ने यह नक्शे दिखाकर इजरायल और पड़ोसी अरब देशों के बढ़ते संबंधों को रेखांकित करने का प्रयास किया।खास बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 अक्टूबर को हमास के हमले की कड़ी निंदा की थी। हालांकि, भारत ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष के समाधान के लिए “दो-राज्य समाधान” का समर्थन करते हुए पूर्ण युद्धविराम की भी मांग की है।
नेतन्याहू (benjamin netanyahu) ने इन नक्शों को दिखाते हुए कहा कि दुनिया को “आशीर्वाद” और “अभिशाप” के बीच चयन करना चाहिए, क्योंकि मध्य पूर्व में संकट तेज हो रहा है और इजरायल लेबनान में हिज़्बुल्लाह के ठिकानों पर भारी हमले कर रहा है।
अपने तीखे भाषण में नेतन्याहू (benjamin netanyahu) ने ईरान पर हमला बोला, जो क्षेत्रीय मिलिशिया को हथियार देने के लिए कुख्यात है, और विश्व समुदाय से ईरान को तुष्ट करना बंद करने की अपील की। उन्होंने कहा, “तेहरान के लिए मेरा संदेश है, अगर तुम हम पर हमला करोगे, तो हम पलटवार करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा, “मध्य पूर्व में कोई भी जगह ऐसी नहीं है जहां इजरायल का लंबा हाथ नहीं पहुंच सकता, और यह बात ईरान पर भी लागू होती है।”
नेतन्याहू (benjamin netanyahu) ने फिलिस्तीन को भी चेतावनी दी और इजरायल को शांति चाहने वाला देश बताया। उन्होंने कहा, “फिलिस्तीनी यहूदी-विरोधी घृणा फैलाना बंद करें और आखिरकार यहूदी राज्य को स्वीकार करें।”
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