Aeroponic Potato Farming: हवा में कैसे उग रहे हैं आलू, क्या इन आलुओं का सेवन है जानलेवा?

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देहरादून ब्यूरो। कभी हवा में लटका हुआ आलू देखा है? नहीं  सुनने में थोड़ा अजीब तो लग रहा होगा मगर ये बिलकुल सच है कि आप में से कई लोग हवा में उगाए गए आलू खा रहे होंगें। देश विदेश में एक ऐसी तकनीक इस्तमाल की जा रही है जिससे आपको आलू उगाने के लिए किसी जमीन मिट्टी या फिर खाद्द की जरूरत नही पड़ने वाली बल्की आप इस तकनीक को इस्तमाल कर 1 आलू के पौधे से 10 गुना ज्यादा आलू की पैदावार कर सकते हैं। अगर आपको भी इस तकनीक से आलू उगाने हैं तो वीडियो को पूरा जरूर देखिएगा जिसमें हम आपको बताएंगे कि बिना जमीन और मिट्टी के आप आलू की 10 गुना पैदावार कैसे कर सकते हैं।

भारत समेत कई देशों में इस्तेमाल होने वाली इस तकनीक का नाम है Aeroponic Potato Farming इस तकनीक में आलू को उगाने के लिए मिट्टी और जमीन की जरूरत नही है बल्की एक सेटअप के साथ इसे हवा में उगाया जाता है जिससे आलू की फसल में 10 गुना मुनाफा तो होता ही है साथ ही आलू सड़ते नही और खोदते समय आलुओं को जो नुकसान हो जाता है वो भी नही होता।

जिस प्रकार प्रकृति से धीरे धीरे मिट्टी कम होती जा रही है उस प्रकार इस तरह की तकनीक का आविशकार होना बेहद जरूरी है। अब ये तकनीक कैसे काम करती है इसे समझ लेते हैं। इस तकनीक को इस्तमाल करते हुए आलू के पौधों को एक पतली पॉलीथीन से बने छोटे-छोटे गमलों में उगाया जाता है, जिसके बाद उन्हें एक जालीदार टेबल पर विकसित होने के लिए छोड़ दिया जाता है। धीरे धीरे आलू के पौधे का विकास होता है जिस दौरान आलू का पौधा ऊपर की तरफ बढ़ता जाता है और उसकी जड़े पॉलीथीन से बाहर निकलते हुए जाली के नीचे विकसित होने लगती है। अब जो पोषक तत्व पौधे की जड़ को मिट्टी से मिलते हैं वो उसे हवा में लटक कर ही मिल जाते हैं। कैसे, ये आपको बताते हैं। दरअसल इन पौधों पर और इनकी जड़ों पर थोड़ी थोड़ी देर में एक घोल का स्प्रे किया जाता है। इस घोल में वो सभी पोषक तत्व मौजूद होते है जो एक पौधे को मिट्टी से मिलते हैं। पौधों को बिलकुल उसी तरह का वातावरण उपलब्ध कराया जाता है जैसा कि उसे जमीन से मिलता है। इसमें बस अंतर ये होता है कि आलुओं की पैदावार में कई गुना बढ़ोतरी होती है बिना जमीन और बिना मिट्टी के। Aeroponic Potato Farming केवल Green House में ही की जाती है जहां पौधों को पर्याप्त रूप में धूप पानी और पोषक तत्व मिलते हैं।

इसके बाद दो से ढाई महीनों में आलू की फसल बनकर तौयार हो जाती है जिसके बाद आलू खराब न हों इसलिए इन्हें किटानु मुक्त घोल में डुबो दिया जाता है और 15 मिनट के लिए इन आलुओं को light के नीचे रख दिया जाता है।

भारत में Aeroponic Potato Farming से आलू उगाने का प्रयोग पहली बार हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र में किया गया। यहां इस तकनीक से आलू की खेती करने के लिए इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर और आलू प्रोद्योगिकी केंद्र करनाल के बीच एक एमओयू भी Sign किया गया। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा भी इस तकनीक के जरिए आलू की खेती करने की मंजूरी दे दी गई है।

और अगर आपके मन में थोड़ा सा भी Doubt आ रहा  है Aeroponic Potato Farming से उगाए जाने वाले आलुओं की गुणवत्ता को लेकर, तो आपको बता दें कि इस तकनीक से उगाए जाने वाले आलू बिलकुल उसी तरह से पोषक तत्वों से भरपूर हैं जैसे की जमीन में उगने वाले आलू होते हैं। इस तकनीक से आलुओं का उत्पादन करने से किसानों को काफी मुनाफा होगा। इस तकनीक के लिए शुरूआत में आपको थोड़ा पैसा खर्च जरूर करना होगा मगर आलुओं की 10 गुना पैदावार से आप जल्द ही इससे काफी मुनाफा भी कमा पाएंगे।