/ Dec 16, 2025
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VB G RAM G Bill 2025: केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज लोकसभा में ग्रामीण विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक विधेयक पेश किया। इस विधेयक का नाम ‘विकसित भारत – गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण): वीबी जी राम जी (VB G RAM G) बिल, 2025’ है। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप एक ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना है। यह बिल ग्रामीण परिवारों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए लाया गया है।

इस नए विधेयक की सबसे प्रमुख विशेषता रोजगार गारंटी के दिनों में बढ़ोतरी है। ‘विकसित भारत – जी राम जी बिल, 2025’ के तहत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को 125 दिनों के मजदूरी रोजगार की वैधानिक गारंटी दी जाएगी। यह गारंटी उन परिवारों के वयस्क सदस्यों के लिए होगी जो अकुशल शारीरिक कार्य (unskilled manual work) करने के लिए स्वेच्छा से आगे आएंगे। सरकार ने ग्रामीण परिवारों के लिए मजदूरी-रोजगार गारंटी को मौजूदा सौ दिनों से बढ़ाकर एक सौ पच्चीस दिन करने का संकल्प लिया है, ताकि उनकी आजीविका को सशक्त बनाया जा सके।

विधेयक में ग्रामीण विकास के लिए एक एकीकृत योजना प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है। इसके तहत ‘विकसित ग्राम पंचायत योजनाएं’ (VGPPs) तैयार की जाएंगी। ये योजनाएं ‘बॉटम-अप’ (नीचे से ऊपर की ओर), अभिसरण-आधारित और संतृप्ति-उन्मुख (saturation-oriented) होंगी। इन योजनाओं को ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर एकीकृत किया जाएगा ताकि व्यापक क्षेत्रीय प्राथमिकताओं के साथ तालमेल बिठाया जा सके। खास बात यह है कि समन्वित और कुशल योजना सुनिश्चित करने के लिए स्थानिक तकनीक (spatial technology) का उपयोग किया जाएगा और इसे ‘पीएम गति शक्ति’ के साथ एकीकृत किया जाएगा।

इस विधेयक में कृषि कार्यों की जरूरतों का भी विशेष ध्यान रखा गया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बुवाई और कटाई के पीक सीजन (सघन कृषि मौसम) के दौरान खेतों में मजदूरों की उपलब्धता बनी रहे और कृषि कार्य प्रभावित न हों। सभी कार्यों को ‘विकसित भारत नेशनल रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक’ में संकलित किया जाएगा। इससे ग्रामीण सार्वजनिक कार्यों के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय ढांचा तैयार होगा। विधेयक में जल सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाएगी, जिसके तहत जल संबंधी कार्यों, मुख्य ग्रामीण बुनियादी ढांचे, आजीविका से जुड़े बुनियादी ढांचे और चरम मौसमी घटनाओं व आपदा तैयारियों से निपटने वाले कार्यों पर विशेष जोर दिया जाएगा।

यह अधिनियम लागू होने के छह महीने के भीतर प्रत्येक राज्य सरकार को इस गारंटी को प्रभावी बनाने के लिए एक योजना तैयार करनी होगी। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना (CSS) के रूप में कार्य करेगा। इसमें फंड शेयरिंग का पैटर्न पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 90:10 का रहेगा, जबकि अन्य सभी राज्यों के लिए यह अनुपात 60:40 होगा। वित्तीय संसाधनों के न्यायसंगत वितरण के लिए बिल में वस्तुनिष्ठ मापदंडों के आधार पर राज्यों को आवंटन का प्रावधान है। राज्यों को भी जिला और ग्राम पंचायतों के बीच फंड का वितरण पारदर्शी और आवश्यकता-आधारित तरीके से करना होगा।

विधेयक में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए मजबूत तंत्र विकसित करने की बात कही गई है। इसके लिए बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, स्थानिक तकनीक-सक्षम योजना और निगरानी, रीयल-टाइम डैशबोर्ड के साथ मोबाइल-आधारित रिपोर्टिंग और एआई-सक्षम एनालिटिक्स का उपयोग किया जाएगा। बिल के तहत मजदूरी की दरें केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित की जाएंगी। जब तक नई दरें अधिसूचित नहीं होतीं, तब तक मौजूदा मनरेगा मजदूरी दरें ही लागू रहेंगी। यदि आवेदन करने के 15 दिनों के भीतर रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित दरों पर बेरोजगारी भत्ता देने का प्रावधान भी इस विधेयक में शामिल किया गया है।

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