/ Oct 07, 2025
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COUGH SYRUP: उत्तराखंड सरकार ने बच्चों की सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्रतिबंधित कफ सिरपों के खिलाफ सख्त अभियान शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की टीमें पूरे राज्य में मेडिकल स्टोर्स, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों पर छापेमारी कर रही हैं। यह कार्रवाई मध्य प्रदेश और राजस्थान में दूषित कफ सिरप से हुई बच्चों की मौतों के बाद केंद्र सरकार की एडवाइजरी के अनुपालन में की जा रही है।
मुख्य रूप से कोल्ड्रिफ (Coldrif) और डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड युक्त सिरपों पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो तमिलनाडु और राजस्थान की कंपनियों द्वारा निर्मित हैं। जांच में पाया गया कि इन सिरपों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक जहरीला रासायनिक तत्व अनुमत सीमा से अधिक पाया गया था, जो बच्चों के लिए घातक साबित हो सकता है। आयुक्त, खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन डॉ. आर. राजेश कुमार के आदेश पर प्रदेशभर में लगातार छापेमारी की जा रही है। टीमों द्वारा मेडिकल स्टोर्स, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों से संदिग्ध सिरपों के सैंपल एकत्र कर अधिकृत प्रयोगशालाओं को भेजे जा रहे हैं।
अब तक 63 औषधियों के सैंपल जांच हेतु भेजे जा चुके हैं और रिपोर्ट आने के बाद दोषी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। एफडीए मुख्यालय, देहरादून में अपर आयुक्त व ड्रग कंट्रोलर ताजवर सिंह जग्गी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि यह कदम राजस्थान और मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद एहतियातन उठाया गया है। उन्होंने कहा कि यह अभियान पूरी संवेदनशीलता के साथ हर जिले में चलाया जा रहा है ताकि किसी भी स्थिति में बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।
इस अभियान के तहत न केवल तैयार सिरप बल्कि निर्माण कंपनियों के कच्चे माल जैसे पॉलीइथिलीन ग्लाइकॉल, सॉर्बिटॉल और अन्य रासायनिक तत्वों के सैंपल भी लिए जा रहे हैं। इनकी गुणवत्ता जांच की जा रही है ताकि उत्पादन स्तर पर किसी भी प्रकार की कमी या गड़बड़ी की संभावना समाप्त की जा सके। प्रदेश के सभी औषधि नियंत्रण अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में सैंपलिंग और निरीक्षण में कोई ढिलाई न बरतें। इस प्रक्रिया में कच्चे और तैयार उत्पाद दोनों की जांच की जाएगी।
प्रशासन ने जनता से अपील की है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी COUGH SYRUP न पिलाया जाए। चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सिरप देने में भी अत्यधिक सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। आमजन घरों में पहले से खुली हुई दवाइयाँ बच्चों को न दें, क्योंकि पुरानी या खुली बोतलें अपनी प्रभावशीलता खो देती हैं और नुकसानदायक हो सकती हैं। ऐसी अधूरी दवाइयों को सुरक्षित तरीके से नष्ट करें और हर दवा की एक्सपायरी डेट अवश्य जांचें।
राज्य सरकार ने डॉक्टरों को भी निर्देश दिए हैं कि वे प्रतिबंधित COUGH SYRUP न लिखें। वहीं, फार्मासिस्टों ने भी इन सिरपों को अलमारियों से हटा दिया है। अभियान के तहत किसी भी संदिग्ध औषधि की बिक्री या वितरण पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। राज्य में अब तक 49 से अधिक सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं और विभाग लगातार रिपोर्ट पर नजर रख रहा है। सरकार ने साफ किया है कि दोषी पाए जाने पर कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने सहित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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