इस मंदिर में जलाई जाती है चिता की अग्नी से आरती की ज्योत

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Bhootnath Mandir Kolkata
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Bhootnath Mandir Kolkata: क्यों चिता की लकड़ी से जलाई जाती है यहां आरती की ज्योत?

Bhootnath Mandir Kolkata: भगवान शिव का वो मंदिर जहां आरती की लोह जलाने के लिए चिता की अग्नी का सहारा लिया जाता है। ये मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल नहीं है लेकिन फिर भी यहां आरती की ज्योत चिता की लकड़ी से जलाई जाती है।

ये रहस्यमयी मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) कोलकाता के नीमतल्ला घाट के पास स्थित है जिसे बाबा भूतनाथ मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की स्थापना करीबन 300 साल पहले नीमतल्ला श्मशान घाट में रहने वाले एक अघोरी बाबा द्वारा की गई थी।

जिस वक्त इस मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) की स्थापना की गई थी उस समय यहां केवल एक शिवलिंग हुआ करता था जिस पर कई अघोरी बाबा जल चढ़ाया करते व पूजा अर्चना करने आया करते और कभी कबार आस पास के लोग भी शिवलिंग पर जल चढ़ाने आया करते थे।

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अब आते हैं इस पर कि आखिर क्यों इस मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) में पूजा करते समय चिता की आग से ज्योत जलाई जाती है। दरअसल अघोरी बाबा द्वारा श्मशान घाट के बीचों बीच शिवलिंग को स्थापित किया गया था जहां बाद में मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) बना दिया गया। अब जब आरती के समय में पुजारी को ज्योत जलानी होती थी तो वह किसी भी जलती हुई चिता से एक लकड़ी उठाता और ज्योत जला दिया करता था, बस तभी से ये प्रथा वैसी की वैसी ही चली आ रही है।   

इस मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) को लेकर लोगों के बीच इतनी आस्था है कि कई बार तो मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर बैन तक लगा दिया जाता है लेकिन फिर भी भक्त इस मंदिर के द्वार में माथा टेकने पहुंते हैं।

इस मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) के बारे में सबसे अनोखी बात ये है कि मंगला आरती (सुबह 4 बजे) और संध्या आरती (शाम साढ़े 6 बजे) के समय में यहां करीबन पिछले 300 सालों से चिता की अग्नी से ही ज्योत जलाई जा रही है और हैरानी की बात तो ये है कि दोनों ही समय पर पुजारी को कोई न कोई जलती हुई चिता तो मिल ही जाती है।

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इसके साथ ही आपको बता दें कि ये मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) हफ्ते के सातों दिन, चौबीसों घंटे खुला रहता है जहां भक्तों की भीड़ जुटी रहती है। भूतनाथ मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर में आकर रोज कपूर जलाता है और उसकी कालिख का टीका लगाता है उस पर हमेशा भोले बाबा की कृपा बनी रहती है।   

इस मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) का संचालन हिंदू सत्कार समिति द्वारा 1932 में अपने हाथों में लिया गया था और फिर धीरे धीरे मंदिर का विस्तार व प्रचार होता चला गया। इसके बाद 1940 में कोलकता निगम द्वारा मंदिर और श्मशान घाट के बीच एक दीवार खड़ी कर दी गई।

इसके बाद भक्तों की इस मंदिर के प्रति बढ़ती आस्ता से इस मंदिर की पूरी दीवार को चांदी से बनवाया गया। यहां तक की मंदिर (Bhootnath Mandir Kolkata) में मौजूद शिव जी, नंदी, त्रिशूल व डमरू आदी तक चांदी के बने हुए हैं। महाशिवरात्रि और सावन के पावन पर्व पर तो इस मंदिर में एक भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसमें भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

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