Bathu Ki Ladi: क्यों पांडव यहां नहीं बना पाए स्वर्ग जाने तक की सीढ़ी?
Bathu Ki Ladi: एक ऐसा मंदिर जो 8 महीनों के लिए जल समाधी ले लेता है, इस मंदिर को बनाने के लिए एक रात का समय 6 महीने के बराबर हो गया था यानि की पूरे 6 महीनों तक यहां सुबह ही नहीं हुई। ये अनोखा मंदिर हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है जिसका नाम है बाथू की लड़ी मंदिर (Bathu Ki Ladi).
इस मंदिर का नाम बाथू की लड़ी (Bathu Ki Ladi) इसलिए पड़ा क्योंकि इस मंदिर की इमारत बाथू नामक पत्थर से बनी है और इसे बाथू की लड़ी (Bathu Ki Ladi) इसलिए कहा गया है क्योंकि जब ये मंदिर पानी में डूब जाता है तो ये दूर से बिलकुल एक मोती की माला की तरह दिखाई देता है इसलिए इसे बाथू की लड़ी (Bathu Ki Ladi) बोला गया है।
ये मंदिर अपनी कई विशेषताओं के लिए जाना जाता है जैसे की 8 महीनों के लिए ये मंदिर पानी में समा जाता है। दरअसल जहां ये मंदिर (Bathu Ki Ladi) स्थित है वहां पौंग बांध का निर्माण होने के बाद से ये मंदिर 8 महीनों के लिए पानी में समा जाता है और उस दौरान सिर्फ मंदिर के ऊपर का हिस्सा ही दिखाई देता है।
इसके बाद जब बांध में पानी का स्तर कम होता है तो वापिस ये मंदिर दिखाई देने लगता है, ये केवल साल के 4 महीने ही पानी से बाहर रहता है और इस दौरान मंदिर (Bathu Ki Ladi) में लोगों की भीड़ जुट जाती है।
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इस अनोखे मंदिर (Bathu Ki Ladi) के निर्माण को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं। कुछ मान्यताओं के मुताबिक इस मंदिर को क्षेत्र के तत्कालीन राजा द्वारा बनवाया गया था, वहीं कुछ मान्यताओं के मुताबिक बाथू की लड़ी मंदिर (Bathu Ki Ladi) का निर्माण पांड़वों द्वारा करवाया गया था।
ऐसा कहा जाता है कि पांडवों द्वारा इस मंदिर (Bathu Ki Ladi) के निर्माण के लिए यहां एक शिला रखी गई थी और इसके बाद पांडवों द्वारा इसी जगह से स्वर्ग की सीढ़ियां भी बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह इन सीढियों को केवल रात में ही बना सकते थे, जिसके बाद उन्होंने श्रीकृष्ण से मदद मांगी और श्री कृष्ण द्वारा 6 महीनों के लिए रात कर दी गई, यानी की 6 महीनों तक सुबह हुई ही नहीं।
इन 6 महीनों में पांडवों द्वारा स्वर्ग की सीढ़ियों का निर्माण किया गया लेकिन जैसे ही इन सीढ़ियों को बनने में ढ़ाई सीढ़ियां बची हुईं थी वैसे ही सुबह हो गई जिसके कारण पांड़व यहां से स्वर्ग नहीं जा पाए। पांडवों द्वारा बनाईं गईं ये सीढ़िया आज भी मंदिर में मौजूद है।
इस मंदिर (Bathu Ki Ladi) में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की मूर्ती भी स्थापित है, इनके साथ ही मंदिर में गणेश भगवान और विष्णु भगवान की मूर्त भी स्थापित है। इस मंदिर (Bathu Ki Ladi) को लेकर ऐसी मान्यता है कि सूर्यास्त होने से पहले सूर्य की किरणें मंदिर में मौजूद शिवलिंग को स्पर्श जरूर करती हैं इसके बाद ही सूर्यास्त होता है।
यह जगह केवल इस मंदिर (Bathu Ki Ladi) को लेकर ही प्रसिद्ध नहीं है बल्की प्रवासी पक्षियों को लेकर भी काफी प्रसिद्ध है। इस इलाके में बड़ी संख्या में पक्षी पाए आते हैं जिन्हें देखने के लिए देश विदेश से कई पर्यटक यहां आते हैं। बांध में पानी कम होने के बाद भी इस मंदिर (Bathu Ki Ladi) के चारों ओर पानी रहता है और जो भी व्यक्ति इस मंदिर तक आते हैं वो नाव के सहारे आते हैं, लेकिन जब पानी का स्तर ज्यादा कम हो जाता है तो इस मंदिर तक अपनी गाड़ी से भी आया जा सकता है।
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