सरकार की अनदेखी, यहां जान हथेली पर रखकर नदी पार करते हैं लोग।

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प्रदेश सरकार भले ही विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही हो, लेकिन इनकी हकीकत बयां कर रही हैं सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के स्युना गांव की वो तस्वीरें, जिनमें अपने गांव की वर्षों की बेबसी देख छोटे-छोटे बच्चे भी अपने नन्हें हाथों में पत्थर और लकड़ी लेकर गांव के बड़ों के साथ भागीरथी नदी पर जलस्तर कम होते ही वैकल्पिक लकड़ी और पत्थर की पुलिया तैयार करने में जुटे हुए हैं। तो वहीं ग्रामीणों का कहना है कि यह नियति का सिलसिला वर्षो से शुरू है। लेकिन उसके बाद भी शासन प्रशासन कार्यवाही नहीं कर रहा। तो नीति नियंता चुनाव के बाद उन्हें भूल जाते हैं वीओ-1, जनपद मुख्यालय से करीब 2 से 3 किमी दूरी पर स्थित स्युना गांव के ग्रामीण इस वर्ष भी भागीरथी नदी का जलस्तर कम होते ही अपनी आवाजाही की सुगम करने के लिए वैकल्पिक पुलिया तैयार की है। जब बड़े इस वैकल्पिक पुलिया तैयार कर रहे थे। उस समय जब ग्रामीण बच्चों से भी अपने गांव की बेबसी नहीं देखी गई और वह भी बड़ो की मदद करने में जुट गए और अपने नन्हें-मुन्हे हाथों में छोटे-छोटे पत्थर और रेत भरकर वैकल्पिक पुलिया तैयार करने में जुट गए।
वीओ-2, स्युना गांव के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी गांव के लिए गंगोरी से पुल निर्माण की मांग है। उस पर जिला प्रशासन ने इलेक्ट्रॉनिक ट्रॉली का वादा किया। लेकिन वहां पर हस्तचलित ट्रॉली दी गई। जिसकी लोहे की रस्सी खींचने के कारण कई ग्रामीणों के हाथ कट गए। तो वहीं ट्रॉली पर बुजुर्ग, बच्चे और महिलाएं अकेले भी नहीं जा सकते। ग्रामीणों का कहना है कि हर वर्ष वैकल्पिक पुलिया बनाने का सिलसिला जारी रहता है। कुछ दिन खबरें बनने के बाद फिर ग्रामीणों की उम्मीद हर वर्ष धूमिल हो जाती है।