भगवान श्री राम के कुलगुरु वशिष्ठ के नाम से जाना जाएगा यह जनपद

0
335

इलाहाबाद और फैजाबाद के बाद यूपी के एक और जिले का नाम बदला जा रहा, अब इस नाम से जाना जाएगा बस्ती

लखनऊ, ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और फैजाबाद का नाम बदलने के बाद अब एक और जनपद का नाम भी बदला जा रहा है। इस संबंध में जिला प्रशासन ने राजस्व परिषद को प्रस्ताव भेज दिया है। साथ ही यह भी तया किया गया है कि हर विभाग अपने-अपने स्तर पर नाम बदलने पर होने वाले खर्च का वहन करेंगे। सरकार इसके लिए कोई नया बजट नहीं जारी करेगी। इससे पहले जिले का नाम बस्ती से वशिष्ठनगर करने पर विभागों ने भारी-भरकम बजट खर्च होने का प्रस्ताव रखा था।

बता दें कि बस्ती जिले अब भगवान श्रीराम के गुरु महर्षि वशिष्ठ के नाम से जाना जाएगा। 26 मई को जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव फिर से जिला प्रशासन ने राजस्व परिषद को भेजा है। 2019 में बस्ती जिले का नाम बदलकर वशिष्ठनगर करने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बस्ती में खुले मेडिकल कालेज का नाम महर्षि वशिष्ठ के नाम करने की घोषणा की तो इसे और बल मिला। सांसद हरीश द्विवेदी, विधायक अजय सिंह और संजय प्रताप जायसवाल की पहल पर राजस्व परिषद ने जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव मांगा। इसके बाद 16 नवंबर 2019 को डीएम आशुतोष निरंजन ने प्रस्ताव भेजा। नाम बदलने पर होने वाले व्यय के बारे में शासन ने जानकारी मांगी तो एक करोड़ का भारी भरकम खर्च बता दिया गया। जिससे यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई और यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया।

basti

प्रस्ताव के समर्थन में जिलाधिकारी बस्ती सौम्या अग्रवाल ने बताया कि जनपद के सभी विभागों से सहमति प्राप्त करने के बाद बस्ती जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। इस पर आने वाला खर्च अब विभाग खुद वहन करेंगे। इंटनेट पर उपलब्ध विकीपीडिया से पर पुरातन काल में मखौड़ा में राजा दशरथ की ओर से महर्षि वशिष्ठ की प्रेरणा से ही पुत्रेष्टि यज्ञ कराया गया था। इसके बाद राजा दशरथ के चारों पुत्रों श्रीराम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था। इनके गुरुकुल में ही चारों भाइयों की प्रारंभिक शिक्षा हुई थी।

भगवान श्रीराम के कुल गुरू महर्षि वशिष्ठ का इस क्षेत्र में आश्रम होने के कारण पुरातनकाल में इसका नाम वशिष्ठी था। इसे देखते हुए बस्ती जिले का नाम वशिष्ठनगर अथवा वशिष्ठी किए जाने में किसी प्रकार की कोई प्रशासनिक आपत्ति नहीं है। 1865 में इसे गोरखपुर से अलग करके बस्ती को जिला और वर्ष 1997 में मंडल बनाया गया।