Shivpal Yadav का “यदुवंश मिशन “अखिलेश के लिए टेंशन का सबब
उत्तर प्रदेश की राजनीति में कई सालों तक Shivpal Yadav केंद्र बिंदु रहे हैं. जब कभी सपा की सरकार रही तब शिवपाल महत्वपूर्ण भूमिका में रहे खासकर जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री रहे। इधर जब से अखिलेश ने सत्ता संभाली पिता [मुलायम ]और चाचा शिवपाल को दरकिनार कर दिया और पूरी तरह से पार्टी पर कब्ज़ा जमा लिया। इन सब के बीच Shivpal Yadav ने भी अपनी अलग पार्टी [प्रसपा]बना ली और समाजवादी पार्टी से दूर हो गए। बहुत दिनों तक राजनितिक गलियारे से दूर एक बार फिर वो सक्रिय हो गए हैं.
Shivpal Yadav क्या यादव समुदाय के सहारे नैया पार होगी ?
इन दिनों यादव समुदाय के इर्द गिर्द पूरी राजनितिक बिसात बिछाई जा रही है। पिछले 4 चुनाव से लगातार हार रही सपा के लिए यादव वोटों को बचाने की चुनौती इसलिए खड़ी हो गयी है ,क्योंकि शिवपाल यादव ने अब खुलकर यादव सियासत करने का एलान कर दिया है और इसी कड़ी में “यदुवंश मिशन “लेकर तैयार हैं.
Shivpal Yadav जन्माष्टमी पर ही बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं
बताते चलें कि जन्माष्टमी पर ही यदुवंशियों को शिवपाल का एक पत्र मिला था जिसमे कैसे अखिलेश ने धोखे से उन्हें और अपने पिता मुलायम सिंह को अपमानित करके पार्टी से अलग कर दिया था। इसी कड़ी को जोड़ते हुए शिवपाल ने यादव समाज को एकजुट होकर अपने साथ आने और इन्साफ की लड़ाई की अपील की थी। इस तरह यदुकुल पुनर्जागरण मिशन के मंच पर सूबे के दिग्गज यादव समुदाय के नेताओं को जुटाकर अखिलेश के लिए खतरे की घंटी बजा दी है.
Shivpal Yadav का बीजेपी प्रेम मचा रहा है हलचल
जहां शिवपाल यादव एक तरफ यादव समाज को जोड़ने में लगे हैं वहीं दूसरी और बीजेपी की नजर भी उन पर है क्यूंकि 2024 चुनाव सामने है. कई बार अलग अलग मंचों से शिवपाल बीजेपी के लिए नरम रवैया अपनाते दिखे। दूसरी तरफ बीजेपी की नजर भी यादव वोट बैंक पर है और बीजेपी ने यादव समाज और शिवपाल पर अंदरूनी तौर पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. बीजेपी ने हाल ही में 2 यादव नेताओं को संसदीय बोर्ड में जगह दी है। ऐसे में एक बात साफ हो जाती है कि अखिलेश के लिए यादव वोट बैंक सहेज के रख पाना एक चुनौती है।
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