सबसे कम उम्र की शख्सियत के तौर पर द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली

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दिल्ली ब्यूरो- देश की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ली। वे देश की पहली आदिवासी महिला हैं जो राष्ट्रपति बनी है। द्रौपदी मुर्मू को संसद के सेंट्रल हाल में शपथ दिलाई गई। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमणा ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर उन्हें 21 तोपों की सलामी भी दी गई।

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द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनने वाली सबसे कम उम्र की शख्सियत हैं। साथ वे प्रतिभा पाटिल के बाद देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, विभिन्न राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्य और सरकार के प्रमुख अधिकारी मौजूद रहे। साथ ही इस शपथ ग्रहण समारोह में ओडिशा से खास 64 मेहमानों ने भी शिरकत की। शपथ लेने से पहले द्रौपदी मुर्मू ने राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उसके बाद वे राष्ट्रपति भवन पहुंची वहां उन्होंने रामनाथ कोविंद और उनकी पत्नी से मुलाकात की।

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शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण में कहा कि मैं जिस जगह से आती हूं वहीं प्रारंभिक शिक्षा भी सपना होता है। गरीब, पिछड़े मुझे अपना प्रतिबिंब दिखाते हैं। मैं भारत को युवाओं और महिलाओं को विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर काम करते हुए उनका हित मेरे लिए सर्वोपरि रहेगा। संसद में मेरी मौजूदगी भारतीयों की आशाओं और अधिकारों का प्रतीक है। मैं सभी के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। आपका भरोसा और समर्थन मुझे नई जिम्मेदारी संभालने का बल दे रहा है। मैं पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं जो आजाद भारत में जन्मी। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीयों से जो उम्मीदें लगाई थीं, उन्हें पूरा करने का मैं प्रयास करूंगी। राष्ट्रपति पद पर पहुंचना मेरे लिए निजी उपलब्धि नहीं है, यह देश के सभी गरीबों की उपलब्धि है। मेरा नॉमिनेशन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब ने केवल सपने देख सकता है, बल्कि उन सपनों को पूरा भी कर सकता है।