इस रोड निर्माण में ₹75000 के जुर्माने के बाद भी नियम ताक पर रख मनमानी कर रहा ठेकेदार

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ग्रामीणों ने लगाया अनियमितताओं का आरोप, डंपिंग जोन की बजाय इधर-उधर फेंक रहे मलबा

थराली (मोहन गिरी): चमोली जिले की थराली विधानसभा के देवाल विकासखण्ड में ताजपुर गांव को जोड़ने वाली सड़क पर कार्यदायी संस्था एनपीसीसी द्वारा सड़क कटिंग का कार्य कराया जा रहा है। सड़क निर्माण के दौरान ठेकेदार द्वारा की जा रही मनमानी पर विभाग भी चुप्पी साधे हुए है। तकरीबन 5 किमी की दूरी की इस सड़क पर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक लगभग 8 डंपिंग जोन खानापूर्ति के लिए बनाये तो गए हैं। स्थानीय ग्रामीणों ,जनप्रतिनिधियों और कैमरे में कैद तस्वीरें बताती हैं कि ठेकेदार द्वारा सड़क कटिंग का मलबा डंपिंग जोन में डालने की बजाय मनमर्जी से इधर उधर डाल दिया गया है। जिससे देवाल वाण मोटरमार्ग पर मलबा गिरने के साथ ही काश्तकारों की खेती को भी नुकसान हुआ है। वहीं वन क्षेत्र में बांज बुरांश के पेड़ों को भी क्षति पहुंची है। वन विभाग के अधिकारी पहले भी वन क्षेत्र में मलबा डालने से हुए नुकसान का आंकलन कर ठेकेदार पर तकरीबन 75 हजार का जुर्माना भी लगा चुके हैं, लेकिन ठेकेदार जुर्माने के बाद भी अपनी मनमानी से बाज आने को तैयार नहीं है।

tharali road

विगत शनिवार को ब्लॉक प्रमुख देवाल दर्शन दानू और नायब तहसीलदार अर्जुन बिष्ट के साथ जांच के पहुंची वन विभाग की टीम ने नुकसान का दोबारा आंकलन कर कार्यवाही की बात कही है वहीं सड़क कटिंग के दौरान ठेकेदार द्वारा जहां वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचाया गया है। वहीं एलाईमेन्ट से इतर सड़क काटने के चलते सड़क की हालत ऐसी हो गई है कि बेतहाशा चढ़ाई होने के कारण यहां वाहन चलाना किसी जोखिम से कम नहीं। जहां एक ओर भारत सरकार ग्रामीणों की सहूलियत के लिए गांव-गांव सड़कों का निर्माण कर रही है वहीं इस सड़क पर वाहनों का दम घुट रहा है। सड़क मानों ग्रामीणों के फायदे के लिए कम ठेकेदार के मुनाफे के लिए काटी जा रही हो। इतनी भारी अनियमितता के बावजूद भी एनपीसीसी विभाग के आला अधिकारी ठेकेदार पर कार्यवाही करना तो दूर ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि जांच के लिए पहुंचे एनपीसीसी के सहायक अभियंता अभिषेक ने ठेकेदार को फिलहाल निर्माण कार्य बन्द कर अनियमितताओं को सुधारने की हिदायत दी है।

अब देखना ये होगा कि सरकारी खजाने से बन रही इन सड़कों में ग्रामीणों की सहूलियत से ज्यादा अपना मुनाफा बचाने को लेकर चल रही ठेकेदार की इस मनमर्जी पर कार्यदायी संस्था एनपीसीसी और वन विभाग क्या कार्यवाही करते हैं।