/ Dec 12, 2025
All rights reserved with Masterstroke Media Private Limited.
PROJECT CHEETAH INDIA STATUS: भारत में प्रोजेक्ट चीता ने एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल कर लिया है और दिसंबर 2025 तक देश में चीतों की कुल संख्या 30 तक पहुंच गई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत में अब 12 वयस्क, 9 सब-एडल्ट और 9 शावक मौजूद हैं। इनमें 11 मूल (संस्थापक) जानवर हैं, जबकि 19 चीतों का जन्म भारत की धरती पर ही हुआ है। इस परियोजना की सबसे बड़ी उपलब्धि ‘मुखी’ नाम की मादा चीता है, जो भारतीय मिट्टी पर जन्म लेने वाली पहली शावक थी और अब वह स्वयं पांच स्वस्थ शावकों की मां बन गई है।

भारत में चीतों का इतिहास काफी पुराना रहा है, लेकिन शिकार और आवास के नुकसान के कारण 1952 में इन्हें आधिकारिक तौर पर देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया था। भारत में जंगली चीतों को आखिरी बार 1947 में देखा गया था। 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री ने स्वयं नामीबिया से लाए गए पहले आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था। इसके बाद फरवरी 2023 में दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीते लाए गए। नवंबर 2025 में बोत्सवाना से आठ और चीते भारत लाए गए हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के नेतृत्व में यह परियोजना अब एक वैश्विक मिसाल बन चुकी है।

कूनो नेशनल पार्क में चीतों का सफल प्रजनन इस बात का प्रमाण है कि वे भारतीय वातावरण में पूरी तरह अभ्यस्त हो चुके हैं। नामीबियाई मादा ‘ज्वाला’ ने दो बार में 8 शावकों, ‘आशा’ ने 3, ‘गामिनी’ ने 6 तथा ‘निर्वा’ और ‘वीरा’ ने भी कई शावकों को जन्म दिया। कूनो के आसपास 80 गांवों में 450 से अधिक ‘चीता मित्र’ सक्रिय हैं। परियोजना के चलते 380 प्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न हुए, जिनमें ट्रैकर, सुरक्षा कर्मी और सफारी गाइड शामिल हैं। इको-टूरिज्म से होने वाली आय का 5 प्रतिशत स्थानीय लोगों के साथ साझा किया जा रहा है। साथ ही, 100 से अधिक गांवों में सड़क, चेक-डैम और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास किया गया।

भविष्य के रोडमैप के अनुसार, 2032 तक 17,000 वर्ग किलोमीटर में 60–70 चीतों की आत्मनिर्भर आबादी स्थापित करने का लक्ष्य है। कूनो के साथ गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य को भी अगले चरण के लिए तैयार किया जा रहा है। लगभग 5 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर के साथ यह आबादी 15 वर्षों में स्थिर स्तर तक पहुंच सकती है। परियोजना के लिए पहले चरण के लिए 39 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। अप्रैल 2023 में शुरू हुए ‘इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस’ के तहत भारत सात बड़ी बिल्लियों के संरक्षण में नेतृत्व कर रहा है। नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों के सहयोग से प्रबंधन, प्रशिक्षण और आनुवंशिक विविधता सुनिश्चित की जा रही है।

पिथौरागढ़ में दोगुनी उम्र की महिला से बेटे का प्यार पिता को नहीं आया रास, उतारा मौत के घाट
देश दुनिया से जुड़ी हर खबर और जानकारी के लिए क्लिक करें-देवभूमि न्यूज
All Rights Reserved with Masterstroke Media Private Limited.