/ Sep 23, 2024
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Pitru Paksha : हिंदू धर्म में हर साल भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान पितृ लोक के पूर्वज धरती पर आते हैं। इस दौरान श्राद्ध करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपने परिवार के सदस्यों को आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के दूसरे दिन श्राद्ध करने के लिए शुभ समय निर्धारित किया जाता है, इस दौरान श्राद्ध करके पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है।
हिंदू धर्म में हर साल भाद्रपद पूर्णिमा से पितृ पक्ष (Pitru Paksha) की शुरुआत होती है। पितृ पक्ष के दूसरे दिन, यानी गुरुवार 19 सितंबर को श्राद्ध कर्म किया जाएगा। ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज पितृ लोक से धरती पर आते हैं, और श्राद्ध करने से वे प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
आज पितृ पक्ष के दूसरे दिन श्राद्ध करने के लिए शुभ मुहूर्त निर्धारित किया गया है, जिसमें श्राद्ध कर्म करके पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की द्वितीया तिथि को हुई थी।
पंचांग के अनुसार, इस दिन शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष दोनों की द्वितीया तिथि पर श्राद्ध किया जा सकता है। यदि किसी के पिता की तिथि ज्ञात न हो, तो पितृ विसर्जन के दिन श्राद्ध करना उचित माना जाता है। द्वितीया श्राद्ध के लिए कुतुप, रौहिण और अपराह्न मुहूर्त को शुभ माना जाता है।
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) के इन दिनों में पितरों को भोजन, फल, मिठाई आदि का दान करना पसंद होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है। ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध तीन पीढ़ियों तक किया जा सकता है और इसका अधिकार पुत्र, पौत्र, भतीजी और भतीजे को होता है। इस बार किसी तिथि का क्षय नहीं है। अत: पूरे सोलह दिन तर्पण किया जा सकता है। इन दिनों पितृ अपने रिश्तेदारों के घर आते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
पितृ पक्ष (Pitru Paksha) में पूर्वजों के नाम से श्राद्ध किया जाता है। जो भी व्यक्ति पितृपक्ष का पालन करता है या श्राद्ध करता है, उसे सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। इस दौरान प्याज, लहसुन, मांस, और मदिरा से दूर रहना चाहिए। दूध का उपयोग भी कम से कम करना चाहिए।
श्राद्ध में हल्की सुगंध वाले फूलों का ही प्रयोग करें और अधिक सुगंधित फूलों से बचें। पितरों के तर्पण के समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके जल अर्पित करें। साथ ही, गीता का रोजाना पाठ करना पितृ पक्ष के दौरान शुभ माना जाता है। श्राद्ध के लिए किसी से कर्ज लेना उचित नहीं है, अपनी क्षमता के अनुसार ही करें।
इन नियमों का पालन करने से पितृ (Pitru Paksha) प्रसन्न होते हैं और परिवार को आशीर्वाद देते हैं।
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