वन विकास निगम के प्रबंधक का बड़ा खुलासा, दूसरे जनपदों से अवैध खनन सामग्री को ओवरलोड वाहनों से लाया जा रहा है जनपद में
हरिद्वार (अरुण कश्यप): लचर खनन नीतियों और जनपद में मौजूद जिम्मेदार अधिकारियों की मनमर्जी के चलते हरिद्वार जिले को राजस्व की बड़े पैमाने पर चूना लग रहा है। जिस कारण सीधे तौर पर वो विभाग प्रभावित हो रहे हैं। जिन विभागों पर राजस्व को इकट्ठा करने का जिम्मा है, राजस्व लक्ष्य को पूरा करने में भी ये विभाग बुरी तरह विफल साबित हो रहे हैं। अकेले वन विकास निगम को ही प्रतिदिन करीब 15 से 20 लाख रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
वन विकास निगम के राजस्व को सबसे बड़ा नुकसान जनपद के बाहर यानी डोईवाला, ऋषिकेश, रानीपोखरी आदि जगहों से आने वाली खनन सामग्री से हो रहा है। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में भारी भरकम वाहन ट्रक और डंपर इन जगहों से खनन सामग्री लेकर हरिद्वार जिले के स्टोन क्रशर तक पहुंचते हैं। हरिद्वार के वन विकास निगम के प्रबन्धक शेर सिंह ने बताया कि रोजाना करीब 500 से अधिक डंपर ऐसे हैं जो डोईवाला, रानीपोखरी, ऋषिकेश आदि जगहों से खनन सामग्री भरते हैं और हरिद्वार के इब्राहिमपुर आदि जगहों पर स्थित स्टोन क्रेशर तक पहुंचाते हैं। इन डफरों में 400 से 500 कुंतल खनन सामग्री भरी होती है। जो अपने आप में भारी ओवर लोड है। जिस पर न तो परिवहन विभाग कोई कार्रवाई करता है और न ही यातायात और स्थानीय पुलिस।
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यही नहीं बल्कि ऊपर तक भरे इन वाहनों से रास्ते में भी पत्थर इत्यादि गिरने से दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। डीएलएम शेर सिंह ने बताया कि इस इन वाहनों से बड़े पैमाने पर अवैध खनन भी होता है जिससे जनपद के राजस्व को भी बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है। पहले जिले का प्रतिदिन का राजस्व 25 लाख से ज्यादा था जो अब घटकर 10 लाख से भी कम रह गया है। क्योंकि अवैध खनन सामग्री को ढो कर ये सैकडों डंफर स्टोन क्रेशर की आवश्यकताओं को पूरा कर देते हैं और वन विकास निगम की लाट से निकली खनन सामग्री नहीं खरीदते।
‘‘हम लोग समय-समय पर ओवरलोड के खिलाफ खिलाफ कार्रवाई भी करते हैं, पिछले दिनों हमने ओवरलोड के खिलाफ अभियान भी चलाया था फिर भी चुनाव आ गए और अब कावड़। मैंने खुद भी कई चालान काटे हैं। ओवरलोड के खिलाफ हमने चालान काटे हैं, काटते हैं और करते रहेंगे।’’
मनोज कत्याल, एसपी ट्रैफिक, क्राइम हरिद्वार