/ Sep 18, 2024

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केंद्रीय कैबिनेट ने दी ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी

One Nation One Election : केंद्रीय कैबिनेट ने दी ‘एक देश, एक चुनाव’ प्रस्ताव को मंजूरी

केंद्रीय कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation One Election) प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया गया है। इसके अलावा, शहरी निकाय और पंचायत चुनाव 100 दिनों के भीतर कराने की योजना है। यह फैसला पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए लिया गया है।

समिति ने कहा है कि एक साथ चुनाव कराना चुनावी प्रक्रिया और शासन को बेहतर बनाएगा और सीमित संसाधनों का सही इस्तेमाल होगा। समिति के अनुसार, 32 राजनीतिक दलों और पूर्व न्यायाधीशों, जिनमें सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश भी शामिल हैं, ने इस कदम का समर्थन किया है।

One Nation One Election 02

समिति का मानना है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation One Election) से वोटरों के लिए चुनावी प्रक्रिया आसान होगी। साथ ही, इससे देश की आर्थिक वृद्धि तेज होगी और अर्थव्यवस्था अधिक स्थिर होगी। एक बार में चुनाव कराने से कारोबार और कंपनियां बिना किसी नीति में बदलाव की चिंता के अपने फैसले ले सकेंगी।

यह निर्णय उस उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट के बाद लिया गया, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने की थी, और इसे केंद्रीय कैबिनेट के सामने रखा गया था।

पिछले कुछ हफ्तों में बीजेपी ने “एक देश, एक चुनाव” (One Nation One Election) को लेकर अपनी मुहिम तेज कर दी है, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस भाषण में भी किया था।

पीएम मोदी ने इसे समय की जरूरत बताते हुए कहा कि बार-बार होने वाले चुनाव देश की प्रगति में रुकावट डाल रहे हैं। इस हफ्ते की शुरुआत में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि एनडीए के मौजूदा कार्यकाल के भीतर “एक देश, एक चुनाव” (One Nation One Election) लागू कर दिया जाएगा।

One Nation One Election

One Nation One Election : ‘एक देश, एक चुनाव’

‘एक देश, एक चुनाव’ (One Nation One Election) का मतलब है कि देशभर में एक साथ चुनाव कराए जाएं, यानी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हों।

इस विचार को पहली बार 1980 के दशक में प्रस्तावित किया गया था। मई 1999 में जस्टिस बी.पी. जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले कानून आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में कहा था कि “हमें उस स्थिति में वापस जाना चाहिए, जहां लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएं।”

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